आधुनिक कार्बनिक रसायन | Aadhunik Karbanik Rasayan

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Aadhunik Karbanik Rasayan by आर. एल. मित्तल - R. L. Mittalए. पी. भार्गव - A. P. Bhargav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तर बन्धों की प्रकृति और आणविक संरचना (विन ्य८८ ० 8००१६ कणत शिंगल्टप्रोकए 517फए<४प्रए०) कार्बनिक रसायन विज्ञान, सरचनात्मक सिद्धान्त (800८एए) पद्म) पर धावारित है । इसी आधार पर लाखो यौगिको को एक दूसरे से पिलाकर्‌ त्रमवदध जिया जा सकता है । सरचनात्मक् मिद्धान्त को ढाचा मानकर ही हम यह सोचने का प्रथ न करते हैं कि क्रिस प्रकार परमाणुओं से मिचकर अणुम्नों का जन्म होता है। दो परमाणुओ के बीच की दूरी लगभग एक मिलीमीटर का करोडवा भाग होती है , कुछ लोग यह कह सकते हैं कि दूरी में इतना कम अन्तर कोई माने नही रखता होगा पर वास्तव मे एक रसायनज्ञ ही जानता है कि यही गुण अणुओ के आचरण को निमंत्रित करता है। पहले हम परमाणु के बारे में सामान्य विचार व्यवंत करेगे । >प्रमाणु (11९ &(०9)--आधघुनिक इलेक्ट्रॉन-सिद्धान्त के अनुसार परमाणु के मध्य नाभिक या न्यूबिलयस (7ए० ८९७७) अवस्थित होता है। नाभिक मे प्रोटॉन तथा स्टोन उपस्थित, होते हैं जो इलेबट्रॉन द्वारा घिरा रहता है। प्रोटॉन इकाई धनाबेश (णण গুটি यक्‍त कण है, इसका भार 1007 है। न्यूट्रॉन আট € 0112128) यु है, है । न्यूट्र का भार तो प्रोटॉन-जितना ही होता है परन्तु इसमें काई आवेश नही रहता। इलेक्ट्रॉन इकाई দগো বগা (৩11৫9৫8515৩ ০2086) युवन कण है। प्रत्येक इलेवन का भार लगभग प्रोटॉत के भार का उ&०्वा भाग होता है। इलेक्ट्रॉन, नाभिक के चारो ओर कोशो (४121) मे व्यवस्थित होते हैं। इनको इलेक्ट्रॉन कोश (৫1০0- 215 5015) ফর ই । হন कोशो कौ सख्या 1, 2, 3, 4 या অহা 014 ১৮ শব জাহি দ্রাহা অঙ্কিত की जाती है। इन कोणो को उपकोणों (5, 9, ८ /) में विभकक्‍त किया जाता है । उप~ कोशो कौ आङि, कोणीय सवेग (कष्टणयः गराण्णशाप्) आदि अलग-अबग होते ह । इन उपक्तोगो को दिगुनीय क्वान्ट्म सस्या द्वारा निरूपित किया जाता है। 1 क्षा मान 0 से (४--1) तक हो सकता है जहा श्र कोश की मुण्य क्वान्टम सख्या को प्रदेशित करता है । 170 वाले उपकोश को 5, 7-1 वाले उपकोश को 7, 7-2 बाले उपकोश को 6 और 7--3 वाले उपकोश को /द्वारा प्रदर्शित किया जाता ই)




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