मृत्यु दूर करने का उपाय | Mritu Ko Dur Karane Ka Upaya

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Mritu Ko Dur Karane Ka Upaya by श्रीपाद दामोदर सातवळेकर - Shripad Damodar Satwalekar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्छ सृत्युको दूर करनेका उपाय । सुपुततिसें तथा स्वममें दारीर स्थिर हो जाता है । इस समय शरीर इसलिये जीवित रदता है कि प्राणका संबंध टूटता नहीं । यदि प्ाणका संबंध टूट जायगा तो स्वम अवस्थासें और खत्युसें कोड भेद ही नहीं रहेगा । प्राणका संबंध रदनेसे जैसा स्वम अवस्थाका अनुभव होता है बैसाही अनुभव म्ाणका संबंध स्थूक शरीर के साथ टूट जानेपर भी खत्युक्ते पश्चात्‌ हो सकता है. । क्यों कि संकट्प विकद्प करनेबाला सूद्म दारीर खत्युके पश्चात्‌ भी विद्यमान ही रहता हे यह वात पूर्वचित्रसे स्पष्ट होगी। सत्युके पश्चात्‌ स्थूल शरीर प्रथ्वीपर रहता है और प्राणके साथ अन्य शरीर परमेश्वरके नियोजित मार्गसे चलने लगते हैं । यद्यपि स्थूल दारी- रका कार्य इस अवस्थामें बंद होता है तथापि सूक्ष्म शरीर कारण झारीर भादिके घर्स गुप्त नहीं होते । अर्थात्‌ प्रति रात्रिके समय स्तरममें जो अवस्था हरएक अनुभव करता हे वही अवस्था सत्युके पश्चात अनुभवमें सती है । यदि पाठक अपने सब शरीरोंके गुणधघर्मोका विचार अपने मनमें स्थिर करेंगे तो उनको पता छग जायगा कि स्वम में और सत्युमें बहुत ही अब्प अंतर है । स्त्का अनुभव क्या है? ऐसा श्रश्न यहां हो सकता है । स्वमका अजु- भव हरएक जानता हे। यदि किसी का शरीर फोडों फुन्सीयों ज्वर आदिसे कष्टपूर्ण बना होगा तो उन कश्टोंका अजुभव स्वममें उसको नहीं होता तथा सुपतति अधात्‌ गाढ निद्ासें भी नहीं होता । हरएक का अनुभव यही हैं । शरीरके फोडोंका डुम्ख स्वसमें कदापि नहीं दोता इसका यही तात्पये हैं कि इस स्वस अवस्थामें स्थूल शरीरका संबंध छूट जाता है ओर पड़े आदि स्थूल दारीर परदी होते हैं । इसी प्रकार जब बीमार मर जाता हैं तब वह सूद्म झरीरसें जाकर अपने खयाली दुनियांमें रमसाण होता हू । इसी कारण मरण आतेह्दी उस बीमारकों बडा ही आराम मिलता है क्यों कि सब कष्ट जो इस स्थूछ झरीरके ज्वर आदिके कारण उसको भोगने पढ़ते थे स्थूरू झरीरका संबंघ छूट जानेसे उसके सब कष्ट दूर हो जाते हैं । इस छिये खत्युकी अवस्था कष्ट की नहीं हू बदिक आराम की है ।




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