वासंती | Waasanti

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Waasanti by पं. सोहनलाल द्विवेदी - Pt. Sohanlal Dwivedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्र दब मत .रहो दूर देखो किरण॒ पॉंछती फूल. के आाँस वह खिल उठा बह उठी है. सुरमि-साँस तुम मत. बनों क्रूर दि मत रहो. दूर पोंछो अरुण नयन के ये. करुख. बिंदु शीतल -करो प्राण मन है. शरद इंदु अब मत. रहो दूर झाब मत बनो क्र।




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