वैदिक और उत्तर वैदिक साहित्य में अश्विनौ एक देवशास्त्रीय अध्ययन | Vaidik Aur Uttar Vaidik Sahitya Me Ashwino Ek Dev Shastriya Adhyayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१८५४ के मध्य मेक्सम्युठर द्वारा ऋग्वेद सहिता का संपादन आर प्रकाशन स्व इसके साथ ही सच० रच० विलसन द्वारा करवेद का अनुवाद वेदिक अध्ययन के छज् में स्क कान्तिकारी प्रगति का प्रारम्भ काठ है । सन १८३८ में रौजेन का करवेद प्रथम अष्टक का छ़ैटिन अनुवाद आए इसके पश्चात नर्मनी फ्रांस हग्लेण्ड और ब्मेरिका में अनेक विद्वानों दारा वैदिक अध्ययन के झे में प्रयास बैद के विभिन्‍न घिषयाँ के दिश्ठैषाण की मूमिका को प्रस्तुत करते हैं । जहां रुक औौर सपादन और अनुवाद कार्य का प्रारम्म होता हे वहीं वैद सै सम्बन्धित अतिक विषयों कै अध्ययन का सुत्रपात मी होता है | बेद की व्यास्था मैं धर्म संस्कृति माषा दर्शन देवशारू आदि से सम्बन्धित खनेंक बातें सहायक बनती है । हसील्यि वैद की व्याख्या के साथ-साथ देवशास्त्रीय अध्ययन की परम्परा मी प्रारम्भ हौती है । मैक्सम्यलर ने जिस प्रकार वैदिक ग्रन्थों के सम्पादन और उनकी व्याख्यादि का प्रारम्म किया उसी प्रकार उन्होंने देवशा स्वीय विवेबन की परस्परा का सुन्रपात भी किया है । उन्होंने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक लग 07... णर्ई छंएं.. 8ाएत .. दाह0न्नॉ) 0 ७1 82.00 _ मैं बहां रक और घर्म और दर्शन की बचा की वहीं १८ उठ - पिन्षेन ८ 08पठेढा धाा . ए्लाण पा रद. पक 6 808. 0 ७02७ 51 घते ७8 ००8 19524. प्रि.. निज नि 181 1800 घाह 8. 0. ०2४ हद 8ाएते. फन०न्णि ७4 उन ुद णा 1 0घठ००८ ि8 .




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