वैदिक साहित्य में विहित पौष्टिक कर्मों का आलोचनात्मक अध्ययन | Vaidik Sahitya Me Vihit Paushtik Karmon Ka Alochanatmak Adhyayan

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Vaidik Sahitya Me Vihit Paushtik Karmon Ka Alochanatmak Adhyayan by शीतला प्रसाद - Sheetala Prasadसुचित्रा मिश्रा - Suchitra Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रे अनेक सुक्त बीफकॉसत यन्ञ विक्ान के सम्पूर्ण हिनयमों से पूर्वकानिक है. । बग्वेद में इन सबके अत्तिरक्त याउ शविथयक सामग्री निकोाजत पुषि०ट वोवजयक सामग्री भी प्राप्त शोर्ता है । इन पुष्टि गोकयक मन्नों में शोजयो तथा पुरोडिशतो का देवताओं के प्रीति समर्पण भाव पाीरलीक्षस ढीता ४ 1 अंग्येदीय पुरोिएती का वरवास था पक पंदव्य रॉ क्तयों की प्राथना करके उनका अठ्ा४ प्रा प्त कया जा सकता दे । यह शवििवास उनमें दृढ़ इच्छा रक्त उत्पन्न करता दे । तथा पे अपना कोई भी कार्य सम्पापीदत करने में पर्याप्त समर्थ पता त रीते हे । बल तथ्य का दर्रन बग्वेद के अोपीलोलत मन्त्र में प्राप्त होता दे - मही हुजायोश अन्धुता क्यो तनमा चिउु्गॉतिमादा न्पमाय । शग्वेद के अजालन से स्पच्ट हीता है । कि इस पेद में भी पुरिष्टकर्म सम्बन्धी सामग्री उरी प्रकार की हे जिस प्रकार अथर्व येदादिद में प्रा प्त हीर्त। दे । प्रमुख + ग्येदी में पट बवणयक सामग्री का अ. ययन वनम्नवव सिकया ता लकता है रोग मीक्त तथा स्वास्थ्य लाभ सम्बन्धी पुिज्ट कर्म श्रग्वेद में रोगमक्त सम्बन्धी अनेक स्ताततिया प्राप्त दीती। हैं | अनेक मनत्रो में विक्ध देवतावों का स्तपन रोगों को दूर करने के लिए कया गया है । जेसे पक सूर्य को दृदय रोग ओर पढण्डूरोग दूर करते वाला ला डा ादकत साधातद सतत सांग गालाला पोल अलावा पदक पडता पडकत दशहावायादाण यादाप सात सतोद वात लिया कवर शाला शक सका ्तातिनवता वाला बलोदा साय पा एल नहा तादाद सतत वार दल दावा पाए लिया हक चाहता सका पत्ता एलानत रेत सका मालाहत कक दलशाया पायल पिला सतत खोविका शिवा समांखि कि आधे बेनव।।|




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