नीहार | Nihaar
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.57 MB
कुल पष्ठ :
88
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नीहार देकर सौरस दान पवन से कहते जब मुर्काये फूल जिसके पथ में बिछ़े वही क्यों बरता इन आाँखों में धूल? अप इनमें क्या सार मधुर जब गाती भौंरों की गुल्ार समर का रोदव कहता है. कितना निप्ठुर है. संसार /? स्वण वर से दिन लिख जाता जब अपने जीवन की हार गोंघूली नम के आँगन में देती अगशित दीपक बार हँसकर तब उस पार तिमिर का कहता बढ़ बढ़ पारावार बीते युग पर बना हुआ है अब तक मतवाला संसार /? स्वप्नलोक के फूलों से कर अपने जीवन का निर्माण मर हमारा राज्य सोचते हैं जब मेरे पागल श्राण आकर तब अज्ञात देश से जाने किसकी मूद॒॒ कार गा जाती है करुण स्वरों में कितना पागल है. संसार /? १३२९३ मई
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