भारतीय विपरण में सरकार की भूमिका का मूल्यांकन | Bharatiya Biparan Me Sarkar Ki Bhumika Ka Mulyankan

Bharatiya Biparan Me Sarkar Ki Bhumika Ka Mulyankan by हरिश्चन्द्र मालवीय - Harishchandra Malviya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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एवं अवांछित फ्रियाओं का नियमन रवं नियंत्रण करती है । इस ट्राॉष्टि ते आर्थिक क्षेत्र में तरकारी हस्तक्षेप अनिवार्य सा होता जा रहा है | यह अवशय है कि सरकारी हत्तद्षेप रवं निर्यत्रण की दिशाएं तथा तौर- तरीके बदलते रह सकते हैं । कारण कि प्रत्येक पीढ़ी अपनी समस्याओं को अपनी ट्राष्टि से देखी है । इस प्रकार सरकार देश मैं राजनी तिक शव अधिक संस्कृति का पोषण करती है और साथ ही अपने नागाकॉँ के बहुमुखी व्याक्तत्व के घिकास हेतु आर्थिक देन का नियमन स्व नि्वत्रण करती है । प्रत्पैक राष्ट्रीय सरकार चाहे वह समाजवादी हो या पूजीव दी अध्षा वाम्पावादीडही राष्ट्रीय हित के लिये व्यीक्तगत आर्थिक फ्रियाओँ पर नियंत्रण कामोपेशी रूप में करती है । इस हत्त्देप्र ते चिश्व के हर राष्ट्र मैं हक नया आा ्िक दर्शन घिकसित हो रहा है जो सरकारी देन्त को अप रिहार्य बनाता जा रहा है और तभी सम्बद्ध पक्षों के समझा व्यवसाय स्व विपणन सम्बन्धों की स्थापना की चुनौती भी प्रस्तुत करता जा रहा है । आज सरकार एक प्रमुख सेव योजक कै रूप मैं तामन आ रही है ड्स लिश् व्यवसाय व विपणन तक सरकार सम्बन्धों का महत्व बढ़ता जा रहा है । लिए दाधयाल लंदीकिधॉरिफवलक पाला वाया लाया यदि दादा मयाधाललवकलवश ाययवययाया ववायदपयकया पाला बाय कला पाए धावदल दर दायदादययदया कककयायाक एवशइलददॉक सवदयाशकदयद दाद दबाए नल 2... बजाज एवं पीरवार सरकार तमाज रवं व्यवसाय 1रतर्च पाब्लकेशन इन सोसल साइंस पुध्ठ 152




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