आदिकाल का हिन्दी जैन साहित्य (६५० - १४५०) | Aadikal Ka Hindi Jain Sahitya(650 - 1450)
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
121.31 MB
कुल पष्ठ :
1075
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about हरिशंकर शर्मा 'हरीश ' - Harishankar Sharma 'Harish'
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(अ) राध (अब) फाण (से) चहुष्पदी (व) चवरीद (क प्रबस्थ (छ) चरिस (ग) चिवाहलों (घ) सम्धघि (क) पवाड़ों (च) ककक मातृवा (९) गौककाव्य परम्परा ए-गौणकाठ्मस परम्परा -प्रननघार्मकता घटना की तूृहल तथा वस्तुजिल्प- इनमें प्रघान काव्यरूप हैं- दोहा- हद छप्पय रेछुअ पाधा विषयप्रधान काठ्य रुपन महारत्ूय थोर पटुटा वी जारउमासा तलहरा सम्बोध संवाद आदिड (३) स्तवन काव्य परंपरा स्तवनस काठ्स रपों में प्रमुख सप बै-उत्साह गत स्तोत्र स्तवन बोलिका स्तृ्वि वीमंती कलश नमस्कार प्रशश्ति सज्फाथ आदि (४) गदूय परंपराएं जैनगदूय बरम्परा उसके विधिध उप विभाजन कालक़म से कृत्तियों का वर्गीकरण तथा सिस्लेबण- सिव्कर्ष (१) प्रमुन्न काव्य पुररेमपराएं- (अ) राश्र काव्यक्साँ का अध्ययम- रख परभ्परा की प्राचीनता- परत के नाश शास्त्र में राध+ माध के माटक-सरस्वती कंहमरण-. पुराणों में राश्- नाणमट्ट काम सूअर अभिमवगुप्त श्रीमदूमा पवन वागमटूट के अनुसार रास का डिल्प- निर्कर्श अदलीलरासक पदानि और उम्र पर विचार संस्कृत काल के पइ्चातू रघ- राजस्थान में राल का रूप संस्कृत कालों के रास- रिपुदारण राश की प्राचीनता-अपपरंश के राप कालाल्तर जे रास फ्रीड़ान राख के विधिध तत्त- १स््वीं शमी उदाजदी तक राध की स्थिति हेकंबर्द्र की रास सम्बस्ती मास्सतापए- मश्रण सदूधत और जिश्ननटा मर मौर- रासक का अ्तर न- ११वीं शतावुदी लक मूहम यान और अभिनव थी रब की लिक्स वस्तू थी १शूवीं श्ताबुदी में राख विकसक बस में परिव्तेन- चर सीहियों का समाओेश- कया तस्वका समावेश- चरित झंकीतन का सवाविड- रासा बंध १रवीं थे ₹५वीं शतावुदी तकराश साहित्य के शिलष उचकी प्रमुख प्रसल्तियँ और चिडेक्साओं एवं उसके लिकास की कड़ियों का विभिरत टुषिटयों से अच्यवन-पदेंगीत व मुस्यकला के उप मैं-छमदाँ की दृष्टि सै - विषय की टुष्टि दे- साहित्यिक झपों की डुष्टि हे कया थर्े की डष्टि है. इन चिधिरन दुष्टिटियोँ थे राख का विस्टेवन लावा लेक रूप एवं निर्क्
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