भारतवर्ष का अर्वाचीन इतिहास ब्रटिश - काल | Bharatvarsh Ka Arwacheen Itihas British Kaal
श्रेणी : समकालीन / Contemporary, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
23.99 MB
कुल पष्ठ :
340
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about गोविन्द सखाराम सरदेसाई - Govind Sakharam Sardesai
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हु ) सब शादारसूर यंधों को एक सूची झछसगप दे दो गई है ॥ सयापि नेक ग्रंथों से से नाना प्रकार को बातें इकट्टी करके उन्हें एक कहानी के रुप में सुरंबद्ध रोति से लिखना यह भो बड़े पारिश्रन व जोखिस का कास है। अपने इस श्रेष्ठ भारपधय के स्वासित्व का पश्चिस के लोगे। के हाथों में जाना संसार के इतिहास में एक बहुत बड़े सहत्व को घटना है । उसे च्छी तरह ससक . कर शौरों के उसे समकाने के लिये पश्चिस के लोगों को तरक्की के ध्यान में रखना तथा एशिया व यूरोप के प्राचीन सम्बन्ध का शोध करना आवश्यक है। सनुष्य की धन-तृष्सा यही एक राज्यों को रथलपथल का सूल कारण है और धनोत्पादन का रा््रीय साधन व्यापार है । इस व्यापार ही के कारण इस देश के सुबरों सूसि यह नास प्राप्त हुआ था । यह व्यापार पश्चिम के लोगों के हाथ सें कैसे गया और उसके द्वारा . यहां झपना राज्य किस प्रकार उन्होंने स्थापित किया . इस बात का पूण विवेचन इस पुस्तक में किया गया है। - - विचार-स्वतन्त्रता के बाग से यूरोप में नवोन जायति किस प्रकार हुईं इस बात का विवेचन प्रकरण ९ न कै ८ इत्यादि में किया गया है । पोलेगीज़ फ्रेंच व...
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