जंगल में मंगल | Jungle Me Mangal

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : जंगल में मंगल  - Jungle Me Mangal

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about शैलेश मटियानी - Shailesh Matiyani

Add Infomation AboutShailesh Matiyani

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
भेड़ें और गड़ेरिये २१ जनता समझती थी आज नेता जी नाराज हो जाएंगे मगर नेता तपोवद्धन जी जनता के दुख-दर्द को समझते थे । वह शान्त भाव से ही बोले-- ओ मेरे देश के प्यारे लोगो एक सवाल मैं भी पूछता हूँ । क्या आप लोगों में से किसी ने आजादी से पहले किसी अंग्रेज अफसर से भी पूछा था कि उसके पास बंगले क्यों हैं ? कारें क्यों हैं ? नहीं तब दर- असल आप लोगों को उनसे कुछ भी पूछने का कोई हक था ही नहीं नेता तपोवद्ध न जी ने जोर से माइक पर मुक्का मार दिया तो जनता सहम उठी । मगर तभी जनता ने देखा दूसरे ही क्षण नेता तपो- वद्धन और भी ज्यादा झुककर प्रणाम करते हुए मुस्करा रहे हैं-- ओ मेरे देश के प्यारे लोगो मगर मुझसे--और सुझ-जैसे हरेक अपने जन- सेवक से--यह सब-कुछ पृछने का पुरा-पुरा हुक आप लोगों को है । क्योंकि स्वतंत्र भारतवर्ष के असली राजा आप हैं। आखिर इसी बेचारिक स्वतंत्रता के लिए तो हमने कुर्बानियाँ दी हैं ताकि जनता अपने हम- जैसे सेवकों से जो-कुछ पुछना चाहे पूछ सके बोलो आजाद हिन्दुस्तान की-ई-ई--- श्र ज्जै-ज्जै-ज्जै 1 जनता खुशी से शूम उठी । जनता को अपने अप- राध के प्रति ग्लानि भी हुई कि उसने अपने महानु नेता पर आक्षेप किया । जनता श्रद्धा से जयकार करने लगी-- हमारे महाद्द नेता तपोवद्धन जी की ई-ई-ई ज्जै उजै ज्जै मगर एक दिन जनता ने उसकी आँखों में घूल झोंकती जाती नेता दुलारे लाल जी की कार को भी रोक लिया और उनके देश की शासन- व्यवस्था को ढोने के .लिए चौड़े ऊचे बनाएं हुए कंधों पर लुढ़की हुई सुन्दरियों की ओर संकेत किया-- नेता जी थह आप का कौन-सा रूप




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now