मनोविश्लेषनण और मानसिक क्रियाएँ | Manovishleshan Aur Mansik Kriyanen
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17.63 MB
कुल पष्ठ :
246
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मनोविदलेवण लौर मानसिक श्रियाएँ जा सकता कुछ समय ही बाद रोग के उभरने की संभावना रहती है तीसरी बात यह है कि सम्मोहन से संक्रमण (धथाितट0ए९ ) को समस्या सुर्झाना असंभव सा है । इन कठिनाइयों के कारण फ्रायड नें मानसिक रोगों की इस चिकित्सा-विधि को छोड़ दिया । फिर भी जंसा उन्होंने अपनी पुस्तक साइकोएनैलिसिस एक्सप्लॉरिंग न हिडेन रीसेस ऑफ द माइन्ड भें लिखा है मनोविदठेषण के विकास के इतिहास में सम्मोहन की उपयोगिता नहीं भूली जा सकती । ज्ञान और चिकित्सा क्षत्रों मे मनोविष्ठेषण वहीं काम करता है जो रूपान्तर में सम्मोहन करता था । तात्मयं यह है कि सम्मोहन ने मानसिक चिकित्सा की पृष्ठभूमि निर्दिचित की और उसी के आधार पर मनोविदलेपण के अबाघ मनः आयोजव (८ 8550078६1071) की विधि का विकास हुआ । अनुभव और निरीक्षण से फ्रायड इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि सम्मोहन बिता भी पिछली और दबी-छिपी भावना-म्रंथियों की स्मृति जगाना (0६1९9 पिंणा एड घिद 856 एणापुजच्जएड) संभव है । बीती घटनाओं तथा दुःखपूर्ण अनुभवों की पुनःस्मृति के लिये उन्होंने अदाध मन/शायो जून की ही विधि सबसे अधिक उपयुक्त पायी । यह विधि बहुत कुछ कंथलिकों की स्वीकृति-विधि (०्णर्फल्डडा01) ) की ही तरह है । यह बातचीत के द्वारा उपचार करना है । फ्रायड को विद्वेषकर उत्तेजना शारकों और ब्राअर से मिली । इस प्रकार मनोविइलेषण का भारम्भ और विकास हुआ । आगें-पीछे कई महत्व के ग्रंथ# प्रकाशित हुए एक मनोविदलेषण समिति की स्थापना हुई इसके लगभग सभी प्रमुख मनोवैज्ञानिक सदस्य बनें । और फिर तो फलस्वरूप मनों- विश्लेषण का विकास तीव्र गति से हो चला । पिछले पचास वर्षों मे इसकी प्रगति इतनी तीव्र रही कि इसमें से दो भर बड़ी शाखाएं फूट निकलीं जो वैयक्तिक मनोविज्ञान (एताशंलेएकों 85० १९०० 1पटि्जिटटाडघिएए 0६ लिच्टकाएा5 १९०१ ?5४८५0-92घ0010छुए 0 छिफ्टाएपघ४ 112 ९०५ फफप£ धशाएं दंड हि. हाधिघं00 ६0 (९ ए0८ााछटा008 इ९ १० हि0एएा261070. एव 95 प्र०02029221 50टांटाडि डर
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