सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य | Samarat Chandragupta Mauryan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7.2 MB
कुल पष्ठ :
230
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about भगवती प्रसाद पांथरी - Bhagwati Prasad Panthari
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मौय-वश का अभ्युदय भा ढृण्डिराज ई० सन् की अट्टारहवी दाती के हैं । अत मौर्यों के शताध्दियों बाद लिखे गये नाटक आर टीका के आधार पर महान चन्द्रमुप्त के सम्बन्ध में सम्पूर्ण रूप से सची ऐतिहासिक जानकारी उपलब्ध करना सम्भव महीं है । नाटक का मुलाधार ऐतिहासिक हो सकता है किन्तु जहाँ इतिहास स्वयं मौन हैं वहाँ नादक अथवां उपन्यासकार और उसके टीकाकार अपनी कल्पना से इतिहास के खन्दकों को पाट भी दिया करते हू । ज्ञाह्मण साहित्य में मौ्यों के सम्बन्ध में सबसे पुरातन उल्लेख पुराणों में मिलते है । पुराणों में सन्दों को तो चूद्र कहा गया है लेकिन मौर्या के कुछ पर प्रकाश नहीं डाला गया है । चन्द्गुप्त मौय्यें की माँ अथवा पिता कौन थे--इस पर भी पुराण सौन हैं । पुराणों में मौर्यों और नन्दों के बीच में कोई बंदयीय सम्बन्ध भी नहीं प्रकट किया. गया है । विष्णु- पुराण के टीकाकार नें प्रथमत नन्द राजा की एक कल्पित पत्नी मुरा के रूप में चन्द्रगुप्त की माता का सृजन किया किन्तु उसने भी मुरा को नुद्रा अथवा दासी नहीं इंगित किया था । मुरा कूद्रा थी यह शोध दुण्टिराज की है । किन्तु ढुण्डिराज का कथन इतिहास पर आधारित न होकर उसको उबर कल्पना की उपज मात्र है जिसे हम ऐतिहासिक वृत्त के रूप में स्वीकार नहीं कर सकते । मुद्राराक्षस नाटक में चन्द्रगुह्ठ को. नन्दान्वय अर्थात् नन्द दंध से सम्बन्धित घनाया गया है और स्त्री राक्षस को उसके पिता का पैत्रिक 6. शी राघाकुमुद शरुखर्जी दृण्डिराज की कंल्पना पर कटाक्ष करते हुए लिखते हूँ... वध फ़ाघ5 री ६0. अत तर (0. शा816 96 पाइल्0प्र्टाएं रा पट दि पविाएट पप. पिह णाए पिंएए ए0 पर्टि5€ (फघणतगबूप रण घिवतााछिाए5 पडा पिफ्ट फाणएा8ा। पा. प्रा 2. शाय5018121द189 पिह पेवपिपडडा 0. 8. शंडशा818. फा एता8. . 1फिपा तीपाश]8. 5६05 धण्प्िड का. पड डाघालडाएटाा अ्शावटग घघप िट दविफिटा। उतर नरग्सा हा पड फ़ायपपं। -ाा आ (ाधाएवकन- पान कैदिचाउघ जाप सिि दपिह5 एए. 11-12).
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