वेनिस का बांका | Venis Ka Banka

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Venis Ka Banka by अयोध्या सिंह उपाध्याय - Ayodhya Singh Upadhyay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ू छ ) आर रिपवान विकल ? का उर्दू से हिन्दी में अचुवाद किया | ये दोनों उपन्यास काशी पत्रिका में उदूँ में निकल चुके थे। उक्त पत्रिका के कुछ अन्य निबंधों का भी श्रापने दिंदी झजुवाद कऋर उनके संग्रह का नाम नोतिनिबंध रखा । विनोद घाटिका ? -॑के नाम से गुलज़ारे दूबिस्ताँ का श्रौर उपदेश कुसुम नाम से शेखसादी शीराजी के गुलिस्लाँ के झाठवें परिच्छेइ का श्रजुवाद किया । चंगला भाषा भी झाप श्रच्छी तरदद जानते हैं श्रोर उक्त भाषा से कई पुरुतकों का झापने झनुवाद भी किया है | विलुकुल सीधी बोलचान की भाषा में श्रापने दो उपन्यास लिखे हें जिनके नाम ठेढ दिदी का ठाठ ? आर शघखिला फूल हैं जिनमें से प्रथम ग्रंथ सिविल सबविस परीक्षा में बहुत दिनों तक कोस मंथा । रुपक्मणी परिणय तथा प्रयुस्न विजय व्यायोग नामक दो रूपक भी झ्रापने ।लखे हैं । काशी नागरी- प्रयारिणी सभा हारा जो कबीर बचनावली प्रकाशित हुई _.. है उसका झापने ही संपादन किया है जिसकी भूका आपने बड़ी दी योग्यता से ।लखी है । - शमी तक जिन पुस्तकों का उठ्लेख किया गया है वे सभी गद्य श्रन्थ हैं । शापके मद्दाकाव्य प्रियप्रवास का ऊपर उठलेख किया जा चुका है । यद्द खड़ी बोलो का श्रत्यंत विशद काव्य-अ्स्थ है. जिसमें श्रीकृष्णजी के मथुरागमन लोलाो का विस्तृत वणुन है । इसमें करुण-रख का प्राधान्य है तथा. वर्णन ऐसा उत्तम डुश्ा है कि स्थान विशेष पर चित्रसे खींच दिए गप हैं। चोखे चोपदे नथा स्लुभते चोपदे नामक दा श्रन्थ झभी हाल ही में प्रकाशित हुए हैं । प्रेम प्रपंच प्रेमास्खु प्रोहद प्रेमास्खु वारिधि प्रेम घस्त्रवण पद प्रमोद पयप्रसून शोर ऋतु मुझुर नामक डानेक काव्य पुस्तक सिस्‍न मिसन प्रकाशकों के यद्दों प्रकाशित हो छुकी हैं जिनमें




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