संस्कृत साहित्य में गीतात्मक तत्व | Sanskrit Sahitya Me Geetatmak Tatv
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
55.51 MB
कुल पष्ठ :
322
श्रेणी :
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इला मालवीय - Ela Malviya
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रामाश्रय झा - Ramashrya Jha
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ह अन्त मैं मैं उपमी माता स्वगीयि स्वरम्य माठबोथ रथ पिला औी कुष्णपकान्त माठवीय के प्रति अपने सदा मुमम अपित कर रही हू । उन्होंने मुमेग कस सोग्य बनाया । मेरी हर इठ आर जुटियोँ को नहर अन्दाओ करके उन्होंसे से मम मधिष्य की सदेव कामना की सब उसके संवारने मे कुत संकल्प रहे ।. परसपस्यमीय विदान कबिवर गोतकार सपने चथिणी रव० (सी ) उमाकान्त मालवोय के घ्रति में नतकसक हूं । उनकी यह हापिक हच्छा रही को में शोध कार कसा में उनके बोवनकाठु में यह अपर उन्हें न दे सको यह मेरा वुभग्य है | मु यह शोच प्रमन्थ घूछी करने में कुछ अप रिहाये कारणों से चिहम्ब कु फिर मी यदि विद कीं को मेरा अप काका हुआ तो में समय मेरा प्रयाल वास्तव में साधक रय सफल रहा । श्म शब्वों के लाश फृस्तुल शोध प्रबन्थ में अपने गोलकार चाचा थी संगतमसी माता रस विद्वान पिता को समपित करती हू बिन लोगों की सुन स्व समन्कति शप से मेरे हस जोचप्रवन्थ मैं व्यपप्त हे । दर (कपरटशीसी २ ( हो पाहवीय )
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