ख़ूनी इतिहास | Khunii Itihas

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Khunii Itihas  by गणपति राय - Ganpati Rai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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थ 3 खूनी इतिहास सम्बन्ध है जेसा कि बत्ती का तेल के साथ अतः उन्दोंने बहुत सोच- विचार के पश्चात्‌ यद्द कहना आारम्भ कर दिया कि खदा के पास से जिन्नाइंल फ्ररिइता मेरे पास समाचार लाता है । सब से पदिले मोदम्मद सा० को बीबी खदीजा ने उनकी बातों पर विश्वास्र किया श्रौर उनका मत स्वीकार किया उसकी देखादेखी उसका नोकर ज़ेद इब्ने हारिस भी इम नवीन मत का अनुयायी हुआ । बाद में अधिकांश मोहम्मद सा० के वंदाघर या सम्बन्धी मोदम्मदी बने । जब मोहम्मद सा० ने देखा कि २०-२५ आदमी मेरे मत के हो गये हैं तो खुछमखु्ा कहना ारम्भ कर दिया कि में खुदा का रसूल ( दूत ) हूँ मेरे पास उनके यहां से समायार ाते हैं साथ दी मूतिपूजा का खंडन श्और देवी-देवताओं की निन्दा भी स्पष्ट शब्दों मे करनी छारम्भ करदी । यह बात सुनकर कुरैश लोगां नै उनस कहा कि आप हमारे धर्म और देवताओं की निन्‍्दा न किया करें किन्तु मोहम्मद साहब ने उनकी बातों पर ध्यान न दिया । एक दिन उनके भ्रनुयायी साद ने उनका पक्ष लेकर एक कुरैश का सिर फोड़ डाला जिससे उसका बड़ा मान हुआ आऔओर अब तक भी मोददम्मदी लोग उसका साम बड़े आदर से लेते हैं क्योंकि काफ़िरों के मारने का श्रीगणेश उसी ने सब सं प्रथम किया था । जब मोहम्मद साहब ने पन चचा अबिलहब तक का कहना न माना और अपने बाप-दादाओं के धर्म की निन्दा करते दी रहे तो कुरैश लोग उनसे बिगड़ गय ओर उनको मार डालने तक पर उतारू दो गये। उन्होंने मोहम्मद साहब के चचा अबूतालिब के द्वारा भी बहुत कुछ उनकों समभाने की चेष्टा की पर जब नती जा कुछ न निकला तो उन्होंने मोदम्मदियों के बढिष्कार की घोषणा करदी और एक कागज़ पर लिख कर काबे के द्वार पर लगा दिया । देवयोग से उस




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