क्षत्रिय वंश प्रदीप | Kshatriya Vansh Pradeep

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( छिप अन्वेषण में लगे रहे, सभावों के जलसों व झन्य मेसितिक नोसुसलिमों से हमे झन्वेघणु करते ही रहते थे इस तरह इस है कि यदद अन्थ देश के लिये उपयोगी सिद्ध हो, तदजुसार इस श्रत्थ में प्रत्येक चात्रिय वंश का ादि इतिहास देकर उन के सुसलमान किये जाने को घटनाओं का वर्सेन किया है साथ ही में उनकी रीति भाँति चाल ढाल और रहन सहन, खान बम पान व उनको जिलसेवार लोकसंख्या थी बततलादी हे जिससे यह श्रन्थ हिन्डु महासभा तथा म.रतीय शुद्धि सभा व झाय्य समाजिययों के थी कामे का बन गया है ।. जातियों को. लिख देना चाहा था पर यह अ्न्थ अजुमान लेकर भर तक की जातियें ही झासको हू शेष में देने का उद्योग करेंगे । हमने हरेक जातियों सपा 82८०प्र् वहा बादशाहों समय में जबरन मुसलमान बना लिये यह उपरोक्त बिचण जो दम ठिख झाये हैं आज से दस चथ चूव को चाता हे तब से दम प्रायः नौमुसलिम जातियों के काय्यवशात जहाँ कहीं इस जाते थे वहाँ के दिन्दुओों से तथा दस वष के समय में दसने बहुतसी नौसुसलिम जातियों. का विवणु संग्रह किया है। यह सब कुछ करने का यह उद्देश्य. देमने इस अन्थ में अ से लेकर ज्ञ तक की ४५० पूषठ तक पहुंचने पर भी इसमें मुख्य २ केबल झ से... जातियों का बिवणं दूसरे भाग में देंगे इस ने छोटी २ कई नामुसलिस जातियों को छोड़ दियीं थी उनको भी दूखरे भाग. :.. परफसागत सम्बन्ध को देखकर निश्वय किया है कि इन सात .. कोड . सुसलसानों में से एक लाख भी अरव के असली सुसलमान नहीं है ये खब ही एक समय हिन्द थे ये लोग हे पं “नदी हज न कट रू” दि न कि कक 2 व नर कि पक लि मे री कला ला की पक रे कक मु कक निकट न मर 5 कक न की न प्यास कु जग पेन पर गए 2 रद पार न कद... मा




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