पाखी घोड़ा | Pakhi Ghoda
श्रेणी : उपन्यास / Upnyas-Novel, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
28.71 MB
कुल पष्ठ :
437
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about वीरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य - Birendra Kumar Bhattacharya
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)थे। सुमति बहन जी फिरोजा के पास थीं। नवीन दुदू के एक करीबी रिश्तेदार के घर पर छिपा था। परन्तु उनके गोहाटी आने की सुचना पुलिस को पहले ही कहीं से मिल गई थी। इसी वजह से रेलवे स्टेशन पर (ब्रह्मपुत्र के किनारे) जहाज के फेरी घाट पर ग्रैंड ट्रंक रोड स्टेशन पर सभी जगह पुलिस के सिपाही चौकसी करते हुए पहरे पर डँटे थे। दुदू चूँकि पुलिस इंस्पेक्टर का बेटा था अतः किनहीं सूत्रों से इन सारी संभावित विपत्तियों की सूचना उसे मिल गई और तब जाने के दिन बड़े भोर में ही उसने उन दोनों को ही इसकी सूचना दे दी। परन्तु ऐसी दहला देने वाली खबर पाकर भी सुमति जी रंच मात्र भी विचलित नहीं हुईं। उन्हों ने दुदू को एक पत्र लिखा- अरे इसमें इतना अधिक परेशान होने की कोई वजह नहीं है दुदू। तुम बस इतना करना कि नवीन को असमीया लोगों के शादी-ब्याह में दूल्हे जो जामा-जोड़ा पहनते हैं वही पहनाकर ठीक पक्के दूल्हे के वेश में सजा-सैंवारकर एक मोटरकार में बैठाकर ठीक समय पर मेरे यहाँ लिवा लाना। उस दिन रात में रेलगाड़ी से उनके रवाना होने का कार्यक्रम निर्धारित था। नवीन दुदू और माकन सभी के सभी पत्र पढ़कर आश्चर्यचकित से रह गए। परन्तु बडी बहन जी ने जो सुझाव दिया था उसे न मानने की हिम्मत किसी को नहीं हुई। एक मोटरकार का जुगाड़ करके सौँझ की बेला में दुदू नवीन के पास जा पहुँचा। इस बीच दुदू की छोटी बहन माकन ने असमीया दूल्हे की सारी साज-पोशाक अच्छी तरह पहनाकर नवीन को तैयार कर लिया था। दुदू ने खुद भी वेश-परिवर्तन कर लिया था उसने अंग्रेज अफसरों की तरह कोट-पैंट पहनकर हैट लगाकर ऐसा तरेश बना लिया था कि पहचान में ही नहीं आ रहा था। परन्तु उसने जब नवीन को सजा-सैँवरा देखा तो उसे अपने उस छद्मवेश पर बहुत पछतावा हुआ। सर पर बहुत अच्छी कढ़ाई का काम की हुई असमीया पगड़ी शरीर पर लंबा-चौड़ा रेशमी जामा-जोड़ा नीचे कमर में लिपटी विशुद्ध रेशमी धोती नाना प्रकार की फूल-पत्तियों की बारीक कढ़ाई का काम किया हुआ दुपट्टा ओढ़कर नवीन पूरी तरह एक राजकुमार-सा सुशोभित हो रहा था। इस सुन्दर पुराने जामा-जोड़े को अपने घर की एक बहुत ही पुरानी सन्दूक से खोज-दूँढकर माकन निकाल लायी थी। दुदू को देखते ही माकन तालियाँ बजा-बजाकर हैँसमे लगी। थोड़ी देर बाद ही उस सजे-धजे दूल्हे को बाहर ले आकर माकन/ ने मोटर कार की पिछली सीट पर बैठा दिया। स्वयं भी वह बड़े सहज ढंग से उसकी बगल में बैठ गई। फिर एक पाइप जलाकर मुँह मे लगाए हुए दुदू भी अन्दर आ गया और चालक (ड्राइवर) की सीट पर जा बैठा । 6/ पाखी घोड़ा
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