दाहर | Dahar

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Dahar by श्री उदयशंकर भट्ट - Shri Uday Shankar Bhatt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पहला अंक पहला दर्य र्थान--दुवल का राजपथ । ( दो डाकुा का प्रवदया ) माचू--( खुशी मैं रुपया की पादली उछालता हुआ ) हाह्ा द्वादा तलवार की नोंक पर शय्धुओों को उछालकर नाचत इुए मुझ फ्रितना सुख मिलता है शाग की चिनगारियों म उड़कर चठ चढ़ करते मास के ड्कड़ों का श्यज्ञार करन में मुभा कितना आन द मिलता है भोलामुख दँखत हुए और ठयड्ा साँस लिये सात हुए बच्चों को बढ़ी के ऊपर उछाल कर समखनाती डुई तलघार सर खट खट करके दो डुकड़ करन भ तो मानों मेरी चिर इच्छाप बल्लियों उछल पढ़ती हैं । घादद कैसा झानष्द्‌ ्ाया । सिश्बन-बडुत उचछुला पढ़ता दे रे जानता द मैन भा ता कन कम करके कटने क दुदे से डकराती झार शाद्दों का




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