महाभारत कथा | Mahabharata Katha
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12.42 MB
कुल पष्ठ :
454
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गणेश़ी को शत हे इस सूमिका दे साय मूदडों ने ऋषियों की समा में महाभारत थी कथा प्राइस्म की | न पद्म +नि सिर 5 य मय 1 ति महाराज शास्तनु के बाद उनके पुव वितोगद हस्तिनापुर की गही पर ईड। उनकी अकासमृश्धु हो जाते पर उनके भाई -विविज्रवीर्य राजा हुए । बैनके दो पुत्र हुए--पुतराष्ट्र और पार । उड़े सहके घृतराप्ट्र जन्म से ट्दी अग्दें थे द्रमतिए पापडु को गद्दी पर विदाया समय नर न 2 दाण्ड ने कई दपों तक राउय शिया 1 उनके दो रानियां थीं--दुस्ठी मोर मादी । शुछ बाल राउय करने के बाद पाण्छु अपने दिसी अपराध के ग्राय्िदस के लिए तपरया करने जंगल में गई । सनकी दोनों रानिया भी उनके साध हो गई। वनवास के समय बुन्ती और मादो ने थार्चो पोर्ड्यों थी जन्म दिया । शुघ मय बाद पार्ट थी सुरचु की गई । पांचों जनाय बलों बा वे थे ऋषि-मुनिय ने पासतनपोपण दिया और पढ़ापानतिदाया । जद सुधिष्टिर मोत्तह वर्ष के हुए तो ऋषियों ने पादों बुमारों को हस्तिनापुर से जाकर पितामहू भीप्म को सॉय दिया 1 पाचों पाण्डव बुद्धि सेतेज और शरीर से बसी ये | छुटपन में हो। उन्होंति देद वेदांग तथा सारे शास्त्रों का अध्ययन कर सिपा था । दाहियीजिठ शरत्त-विदाओं में भी थे दस हो गए थे। उनकी प्रय्र मुद्धि ओर सपुर स्वमाव मे सबको मोह लिया था। महू दे उरुर घूतराष्ट्र के पुव कोरव उतये जसने सगे भर उन्होंने उनको तरह-तरह से शप्ट पट चाना शुरू किया | दिनन्यर-दिनों अत रवों और दावों हे बीय ये रभाव बढ़ता गया । मं मे पिवाधह भीष्म ने दोतो को किसी तरह समझामा और उनके थीच सेरिए कराई। मीप्स 5 जाईशानुसार बुद-राग्य के दी दिक्नि विये गए । कौरवं हृर्तिनापुर में ही राज करते रहे और पाश्वों को एक अमग राग्य दे दिया गया जो आगे चलकर इन्टप्रह्य के माम से मशट्रर हुमा । इंस प्रार मुछ दिन शोति रही 1 चने दिनों खसा सौपों में घौसर ठेसने डे आप रियर था । राय तश बी दाजिया सगा दी जाती थीं । इस रिवाउ के मुताबिक एक डर पोइदों प्र बौरदों ने चौपड सेसा । कौरवों की तरफ से जटिल शदुनि गेसा उसने धर्मात्मा युधिप्टिर को हृय दिया । इसके परलरवस्प पाहवों बा रास्य दिन गया सौर उनहो लेरद वर्ष का दनदास भोयना पडा । उसमे एक एवं दह भी पी कि बारह वर्ष के बनदास के थाई एक बर अशायवास अभि
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