नागिनी कन्या की कहानी | Nagini Kaniya Ki Kahani

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Nagini Kaniya Ki Kahani by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नागिनी कन्या की कहानी १४ उन साँपो को देख-देसकर चुन-चुनकर वे अपने पिटारे भर सेते हैं । सुच्टि से ऐसा साँप नहीं जो उनको नजर से वच जाय । देवदारु को फुनगी पर जो दूधिया गेहूँअन फन फँलाएं आकाय के उडते गीध चील या बाजों के चोच-नाखून की तरफ से चौकरने रहते हैं वे दूधिया गेहूंमन उनके पिंदारे में सहज ही कंद हो जाने है। विलकुल हरे रग के जो सुगिया साँप पेड़ों के पत्ते थे यो चिपटे होते हैं कि साधारण लोगों को दिसाई ही नहीं देते थे साँप भी उन्हें दिल ही जाते हैं और उन्हे भी वे अपने पिंटारे में दाखिल कर । सुबह जब सूरज पूरव आसमान में उगने-उगने को होता है तो लपनी नावों पर खड़े वे उन पेडो की ओर पैनी निगाह से ताकते हैं। इस वंव्त उदय नाग फन पौलाए डोलते है दिन के देवता को प्रणाम करके फिर पेड के पत्तों की आड़ में अंधेरे मे छिप जाते है। वे उदयनाग भी उनके हाथों पकड़ जाने हैं 1 काले गेहूंअन की तो वात नहीं काली नागिन तो उनके पास यचनेदद्ध हैं। काली नागिन ही उनके घर की लद्षेमी हैं वही उनका मनन जुगाया करती हैं विप-सेंपेरो की बेटी होती हैं बे । इसी काली मागिन के जहर से महासजीवन सूचिकाभरण तँयार होता है। बह भी विपहरी मंया का वरदान है। रात जेसी कासी काली नागिन । सुदरी सुकेयी लडकी केनेल से चिकने हुए केणों की वेणी जैसी बनावट और बेंसी ही उसके काले रंग बी चमक । काले गेहूंअन बहुत तरह के होने हैं। जिसके काले बदन पर सरसो की तरह छीटे पे होते हैं वे और होते हैं। जिस गेहूँअन के रग से भी काले दो दागों का कंठा-सा पडा होता है बदन में जानिए कि वह कालीदह्द के काले नाग कया वशज है। काली नागिन सिर्फ काली होती है । काली नागिन काले नाग की बेटी है। उसके वश में लडकी के सिवा लड़का नहीं होता उसकी पूंढ कुछ मोटी होनी है । विटूला ने सरीता से उसकी पुंछका थोडा-सां भाग काट दिया था । काली नागिन के नाग की जात नहीं भह दूसरे नागों के बच्चे जनती है--इसी से शायद नाना जाति के गेहूँअन हुए हैं। विपहरी माई की इच्छा में उनमें दो-चार मादा साँप बिलकुल माँ जेंसी जनमत्ती है--जनमती है काली नागिन की परपरा कायम रखने के लिए । थे विप-सेपेरे काली नागिन को पहचानते है। चूक नहीं होतो उनरे ( घर्जटी कचिराज को यह मासूम है। इसीलिए इ




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