श्री कर्म विपाक सूत्र [हिंदी भाषांतर] | Karm Vipak Sutra [Hindi Bhashantar]
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.65 MB
कुल पष्ठ :
130
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(७) सग्रहणी सूत्र हिदी भाषान्तर सदिति प्रकट कराये कि जिसको पृदफर भव्य जाय लाभ उठाव इस काय मे डा+ इरकचदजी का घमे परनी की अजुमोदना भी सराहनीय हे क्योंकि हमारी जाति में ख़िया माय घाह्यणों का पमिष्रान खिलाने में दी परलाक गत जीवों को सुख मिलता मानती हे । जन जाति में सैक्डो रुपेये स्वर्गवासी महानुभावों के नाम पर च्यय होते हैं पर किस प्रकार १ सदों म्रुसढों को मिठाई खि ताने में मोसरादि करने में श्राप्मणों के जिमाने में वा स्मर्थाथ छतरियां बनवाने में परन्तु जैन साहिस्य तथा धर्म से अनभिज्ञ रहफर धर्म त्यागने वालों को बचाने के. लिय हिन्दी भाषा में ग्रन्थ पयट घरने में जाति की दशा सुधरने तथा देशका उद्धार फरने को जिला मचार के लिये कन्याशाला स्कूल इस्यादि उपयोगी सस्याओं की सहायता में क्या व्यय होता है ? तब ही तो जन जाति में पुरुष रन उत्पन्न नददीं होते कया डाक्टर इरकसदजी के पिता आर धमेपत्नी का अन्लुकरण फरफे अन्य भाई अपन स्व- गंवासी पन्युओं क स्पर्श रुपया ण्से घुभ पार्यी में व्यय करके कि जिन से वास्तविक लाभ दो पुण्योपाजन करेंगे ? अजुवादरू
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