सुलैमान सौदागर का यात्रा - विवरण | Suleman Sodagar Ka Yatra-vivran
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.05 MB
कुल पष्ठ :
138
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(दे 2 मुसलमान सौदागर जा मुसलमान सौदागर विदेश मे जाते थे उन्होंने दी लोगों को दूसर देशों का दाल चवलाया । वास्तव में उन्दोंने दो आदि में यानियों का कर्तन्य पालन फिया इनसे दो महंत कुद समाचार पाकर इन दौकल चगदादी मसऊदी अलविरूनी श्ार इब्नयतूता आदि श्नेक लोगो ने यात्रा पर कमर याँधी यदाँ तक कि अपनी श्रायु का एक बडा भाग भ्रमण में ही निरतर काटा कमल श्रमणाध दी सददस्री कष्ट उठाए भूगोल तथा इतिदास आदि में विशेष रूप से ब्रूद्धि की श्रनेक लोगों को लाभ पहुँचाया श्रपनी जाठि की सेवा की शार भ्रपना नाम सदैव के लिय इतिदास में ्रमर कर गए । इसके सिवा क्या यद्द वात इतिदास जानने- थानों को मालूम नद्दीं कि भारततर्प से भ्रनेक चीजें कांयुल और कथघार के मार्ग से सारे पश्चिम में फौतती थीं । निस्सदेद उन्हीं चीजों को देग्मफर मदमूद गजनवीं को भारत के घन का लालच समाया यद्दाँ तक फि उसने सम दमले भास्त- वर्ष पर किए । निस्सदेद उसने भारत के विपय में बुत छुछ सौंदागयों दी से मालूम फिया था । अस्तु इस प्रकार फी यातों से स्पष्ट प्रतीत दोता है कि उस समय के मुसलमान मौदागर ज्यापार दो में कुगल न ये चल्कि साथ दो साथ चतुर यायो का कर्तव्य भी पालन किया करते थे । सुमलमात जाग जब तक अनेक देशों में भमण करते रदे जब तफ व्यापार
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