टगर | Tagar
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
90
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about विष्णु प्रभाकर - Vishnu Prabhakar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)के लिए कह गया था । उन्हे कल ही यह बंगला छोड देना था । यह भीड यह शगल ताश पीना पिलाना--यह सब मै नद्दी सह सकता नहीं सह सकता उन्हें-जाना होगा 1ऐं मेरा मुह क्या देख रहेहो ? उन्हें जाकर साफ-साफ कह दो कि आज हमारे मेहमान आ रहे हैं । उन्हे जाना होगा । भावाज जसे टूर जाती है और उस पर ठाकुर साहब का स्वर सुपर-इम्पोज होता है।] ठाकुर मालूम होता है नाजिम साहब लौट आाये है । लेकिन वे इतनी जोर-जोर से क्यो बोल रहे है ? टगर इसलिए कि हम सुन सके । माथुर लेकिन यह सब है क्या ? ठाकुर अजी कुछ नही हमको उनके घर ठहरे कई दिन हो गये है। वे जाब्ते के आदमी है उस पर सरकारी भधिकारी ठहरे । टगर और हम ठहरे साहित्यिक । न नियम मानते है न कानून से वास्ता रखते है। माथुर आप साहित्यिक हैं लेकिन क्रिमिनल तो नही है। टगर (हंसकर) फ्रिमिनिल अनजाने ही आपने यह क्या कह दिया साहित्यिक एक तरह का क्रिमिनल ही होता है। वस थोडा सा सुधरा हुआ । ठाकुर (धीरे से) कोई आ रहा है । दूसरे हो क्षण नाजिम साहब का पी ०ए० रस्तोगी प्रवेगा करता है 1] रस्तोगी माफ कीजिये ठाकुर साहंव नाज़िम साहब ने पूछा टगर / १४५.
User Reviews
No Reviews | Add Yours...