भौतिक भूगोल | Bhautik Bhugol

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Bhautik Bhugol by डॉ. एल. एन. उपाध्याय - Dr. L. N. Upadhyaya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पु तंन्तरिक् ज्ञान पण्ण्ाश्व्८ 0 हिब्रण्सु भाकाशीय पिण्डों की गति का ज्ञान खगोल विज्ञान था ज्योतिविज्ञान कहलाता है। अंग्रेजी मे इसे एस्ट्रोनामी कहते हैं जो प्रीक भाषा के दो शब्दो--एस्ट्रोन (85000घस्न 8870 तथा नेमो (पट्0 न10 086) से बना है भर्यात्‌ तारों का क्रम । खगोल विज्ञान का उदय स्व प्रथम भारत फिर युनान मिश्र सुमेर चीन भादि देशों में हुपा । ईसा से 14वीं शती पूव॑ भारत के ज्योतिपी लगध ने सर्वे प्रथम ज्योतिष पेदांग की रचना की जो संसार का प्राचीनतम खंगोल प्रन्य है । पश्चातु झार्यमद्ट (5वी शती) बराहसिहिर (छठी शताब्दी) भास्कराघार्य (12वीं शती) भादि ज्योतिपियों के नाम उल्लेखनीय हैं । भ्रायंभट्ट को भारत का न्यूटन माना जाता है । धुम्बा भाघार से 19 भ्रप्रेल सद 1975 को छोड़ा गया । भारत के प्रथम कृप्रिम उपग्रह का नाम झायंभद्ट रखा गया । खगोल विज्ञान के क्षेत्र में यूनान के थेल्स (800 ईसा पूर्व) हिपारकस (200 ईसा पूर्व) मिश्र के सिकन्दरियावासी टॉलमी (दूसरी सदी ईस्वी) प्रादि प्राचीन खगोलशात्त्रियों का नाम उल्लेखनीय हूँ । प्राचीन ज्योतिप्रीय-भूगोल गणित के सिद्धान्तों नियमों तथा प्रक्रियामो पर प्राधारित था । सन्‌ 1610 में गैलीलियो गलिली (040160 05162) ने दूरदर्शिका का भाविप्कार कर ज्योतिपियों को भपूर्ण दुष्टि प्रदान को । जिसने यह सिद्ध कर दिया कि पृथ्वी सी भन्य प्रो की भाँति एक ग्रह है प्ौर सूर्य की परिक्रमा करती है । कापर निकस ने भी पृथ्वी को ग्रह की संज्ञा दो थी भी ़तामा कि यह सूर्य के चारो प्ोर घूमती है । इन दोनों ही विद्वानों की श्राधुमिक ख़गोल शास्त्र का जनक माना जाता है ॥ पिछली तीज़ दशाब्दियों से भ्रस्तरिक्ष ज्ञान के क्षेत्र मे कई सफलतायें प्राप्त हुई हैं । 4 मक्‍्टूबर सन्‌ 1957 को सोवियत संघ ने से प्रथम मानव रहित भन्तरिक्ष थान पृथ्वी के कक्ष मे भेजकर इसके रहस्यों को प्रकाश में लाने का सफल प्रयास किया | तब से सोवियत संघ एवं भमेरिका के मध्य मस्तरिक्ष के रहस्यों का उद्घाटन करने की होड़ सी लगी हुई है । वर्तमान में दोनो हो देश भपने अन्तरिक्ष यानो द्वारा चन्द्रमा शुक्र मंगल भादि प्रहों पर बेंशानिक उपकरण पहुंचा कर उनकी उत्पत्ति संरचना भौर वायुमण्डल के रहस्यों के उद्घाटन मे प्रयत्नशील हैं । निस्सन्देह बीसदी शताब्दी खगील विज्ञान के विकास का स्वर्ण- युग सिद्ध होगी भौर भनेको भन्तरिक्ष रहस्य प्रकाश में झायेगे ।




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