परकाय प्रवेश तथा अन्य कहानियाँ | Parkaya Pravesh Tatha Anya Kahaniyan

Parkaya Pravesh Tatha Anya Kahaniyan by मास्ति वेंकटेश अय्यंगार - Masti Venkatesha Ayyngarवी. आर. नारायण - V. R. Narayan

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बी. आर. नारायण - B. R. Narayan

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मास्ति वेंकटेश अय्यंगार - Masti Venkatesha Ayyngar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रंगप्पा की शादी . यह शीर्षक पढ़कर आप में से कोई यह पूछ सकते हैं क्यों भई रंगनाथ का विवाह अथवा रंगनाथ की विजय न कहकर यह क्या नाम रख दिया जी हाँ जगन्नाथ की विजय गिरिजा कल्याण की भाँति श्री रंगनाथ की विजय जैसा एक भारी भरकम सा नाम रखा जा सकता था । यह वात नही कि यह मेरे ध्यान में नहीं आया हो पर देखिए यह जगन्ताथकी विजय भी नही है और गिरिजा कल्याण भी नही है यह तो हमारे गाँव के रंगा की शादी है इसलिए ऐसा नाम रखा । हमारा गाँव होसहल्‍्ली है । उसका नाम आप लोगों ने सुना होगा न ? नही ? ओह बेचारे यह आप का दोष नही । भूगोल की पुस्तक में उसका नाम नही है इगलेड में रहने वाले अंग्रेज़ी में भूगोल लिखने वाले साहंब को होस- हलली का पता कंसे होगा ? इसलिए उसने छोड दिया होगा । लेकिन असल में बात यह है कि जब हमारे लोग भूगोल लिखेंगे वे भी होसहलली भूल जायेंगे । ख़ैर यह तो भेड़ चाल है। सब एक के पीछे एक आँख खोल कर ही गिरते है । इंगलेड के साहब और हमारे ग्रंथकार यदि उसे भूल जायें तो बेचारा नवशा बनाने वाला क्या उसे याद रखेगा ? नक्शे में तो उसका नाम-निशान थी नही । अरे मैंने कया शुरू किया था और बया कहने लग गया । क्षमा कीजिए । भारत में मंसूर दावत में गुष्निया की भाँति है। मंसूर में होसहल्‍्ली गुझिया में भरे मसाले की भाँति है। ये दोनो बातें निःसंदेह सत्य है । आप सँकड़ो




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