चकाचक | Chakachak

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Chakachak by गोपाल प्रसाद व्यास - Gopalprasad Vyas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पद के सगई घायी री 9 सपाटे करने और आवभगत का आनद लूटने गई है । पाकिस्तान में जैसी उनकी आवभगत हुई है उसे देखते हुए हमारे खिलाडियों के लिए क्या यह उचित था कि उनके घर में जाकर उन्हीं को शिकस्त देते । अजी मुह खाता है और आये झुकती ह जिसका खाना पडता है उसका वजाना भी पड़ता है चकाचक जी वह पाकिस्तानियों को हराने नही गए है । यह काम तो उन्होने भारतीय सैनिवो के ऊपर छोड दिया है । वे पाकिस्तानियों का हौसला बढान के लिए गए है । और कही नहीं सही क्रिकेट के खेल में ही जीत का जरन मना लें । अच्छा यह वात है और क्या वात होती । नही तो हमारे खिलाडी इतने गए गुजरे नहीं है कि पा्षिस्तानी वौलरा को निरन्तर सम्मानित करते रहे । यह बात है तो फिर होजाए । चायनादता न जी नहीं । गेद बच्ची पर एक रसिया-- मारी सो क हैपा काली दहू पे खेलन आयों री मेरो बारी सो कहैया काहे वी पट-गैद बनाई काहे को बल्ला लापी री 1 मेरो बारी सौ ब हैया रेवाम की पट गेंद बनाई चदन बल्‍्ला लाथी री | मेरो बारो सी क्हैंया मारो टोल गद गई दह में ँ बु तो गद के सगई धायी री मेरो बारी सी क हैया कया समझे प्यारेलाल हमारे कुवर व हैँया क्रिकेट के बडे अच्छे खिलाडी थे स्ट्रोक जमाया और गेंद के साथ ही रन लेने को दौड पड़ते थे 1 1 1 तर 1 2 फरवरी 83 द ही 3




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