भगवान महावीर की अहिंसा और भरता के राज्यों पर उसका प्रभाव | Bhagwan Mahavir Ki Ahinsa Aur Bharat Ke Rajyon Par Unka Prabhav

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Bhagwan Mahavir Ki Ahinsa Aur Bharat Ke Rajyon Par Unka Prabhav by श्रीयुत विश्वेश्वरनाथ रेउ - Shri Vishweshwarnath Rau

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about पण्डित विश्वेश्चरनाथ रेड - pandit vishveshcharnath Red

Add Infomation Aboutpandit vishveshcharnath Red

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
श३ ३] प्लमस्त जाचित प्रायियों को मैं मित्र की माति सममाप से हेखगा। इसके साथ ही ियर्पचिद थी प्रथम फ्ाचा मी इस ही श्रबार पी शित्ता देती हैं गये त्रिपता परियन्ति विसर्पाणि रिश्वत 1 वाचम्पतिललातिपा ठननो अवददातु मे ॥ ॥? झन्वयार्थ--( य ) ये (दिपन्ता ) त्रियु सलस्थलान्तरिशेपु सम्यद्या (विश्वरूपाणि चिम्त ) पनक विघ शरीराशिधार्य तो माना लस्तध (पश्यितति) सयय शर्मा ते (ताप ) जलस्थलान्तरिं- सचराणा चिधिध जीवानाप्‌ (तय ) शरीगाणि (पला) पलयान श्रेष्ठ इति यावत्‌ ध्थया ( बला ) पलात्ारणान्यायनेति याथत्‌ ( धाउस्पति ) पेंदयागया पानका दिद्दान ( झय ) ने हिनस्तु फिस्तु (मे) मा मीशयस्तु (रघालु) पुष्यालु । माघा्थ--महाकायएय को जगदीरयरों जीघान याघर्या त - सर्थ श्ययककारणीमूताये सनातियं चिह्दुमि सर्य जतय सदा रक्तणीया न च तैपु फकेचम दिसमीया 12 माय यह है कि समस्त पुथ्या जन श्र भाकाश में धन चाले विधिध प्रकार के जीधिन प्राणी को इस संसार में घर लगा रदि हैं उनको चेदा वा झान धयवा येदां में धड़ा रखने चाला प्यक्ति पमी न मांग । थल्कि जो मरी (एपयर)शटी सशी चाहे चद्द सदेध उनके प्रार्था की रक्षा कर । घत वेद के इन उद्धन यों स स्पष्ट दै कि यहा पक झत्यत प्रायीन बाल से धा्िसा चर्म वी प्रघानता रही हैं । जैनशास्त्र भी चेदों वी इस मायता का समर्थन परत है । उनफ्ा पहना हैं कि इसे पल्पफाल में जच मोगसूमि का झमाव घोर कर्ममूमि का पादुमाध यहां हुआ-लोगा को परिश्रम करके




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now