लाजवन्ती | Lajwanti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.41 MB
कुल पष्ठ :
193
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)' मैंने माया को पत्थर के एक बर्तन में मक्खन रखते देखा । छाछ
की खटास को दूर करने के लिए. माया ने बर्तन में पड़े हुए मक्खन को
'कुए4ँ के साफ़ पानी से कई बार घोया | इस तरह मक्खन इकट्ठा करने का
' विशेष कारण था । एसी बात अम तौर पर साया के किसी सम्बन्धी
के अ्राने का पता देती थी । हाँ, अब सुझे याद आया । दो दिन के
“बाद माया का भाई अपनी विधया बहन से राखी बैंधवाने के लिए; आाने
वाला था । यों तो अक्सर बहने भाइयों के घर जाकर उन्हें राखी नाँघती
» पर साथा का भाई श्पनी बहन शौर- मानजे से मिले के लिए. झाप
हू थ्रा जाया करता था श्औौर राखी 'बैंघवा ' लिया करता था । राखी
बघंवाकर बह अपनी 'विघवा ' बहन को यही विश्वास दिलाता था कि
यद्यपि उसका सुद्दाग लुट 'गया है, पर जब तक .उसका भाई जीवित है,
. ठसकी रक्षा, उसकी हिफ़ाज़त की ज़िम्मेदारी बह छापने कन्धों पर लेता हैं ।
नन्हें भोला ने मेरी इस घारणा की पुष्टि कर दी। गन्ना चूसते हुए.
उसने कहा, “बाबा, परसों मामा जी ब्यायेंगे-न १?”
मैंने अपने पोते को प्यार से गोद. में उठा लिया 1. मोला का शरीर
*ै बक' सोया
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