बौद्धधर्म और बिहार | Bauddhdharma Aur Bihar
श्रेणी : बौद्ध / Buddhism
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20.05 MB
कुल पष्ठ :
476
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about हवलदार त्रिपाठी सहृदय - Hawaldar Tripathi Sahriday
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्राक्थन ग्् जिनके सहारे भगवान् बुद्ध अपने धर्मचक्र को निरन्तर चलाते रहते थ--ये केचिकुसला घम्मा सब्बेते चतूसु अरियसच सु सहहं गच्छन्ति । बौद्ध-दर्शन बौद्ध-दर्शन के मुख्य विपय तीन हैं--दुः्ख प्रतीत्यसमुत्पाद ( क्षणिकवाद ) और अनात्म । है. दुःख--के सम्बन्ध में बाद्धघर्म वाले विवरण में लिखा जा चुका है आर बतलाया गया है कि सांसारिक सारें पदार्थ और शरीर के सारे धर्म दुगख-समुदय हैं । इनकी सम्पूर्ण तृष्णाश्रों का छंदन ही निर्वाण है जो मानवमसात्र के लिए साध्य है । इसी सिद्धान्त के प्रतिपादन में ही वीद्ध-दशंन का विकास ढुआ्रा है । भगवान् बुद्ध ने सकल धर्मों के उन्छेद के लिए ही प्रतीत्यममुत्याद ( न्नणिकवाद ) झ्रौर अअनात्मवाद का सिद्धान्त ऑविष्कृत किया । प्रतीव्यसमुत्याद ही एक ऐसा मिद्धानत है जो भगवान बुद्ध का एकमात्र मोलिक सिद्धान्त कहां जा सकता है । भगवान् बुद्ध के नणिकवाद अर छनात्सवाद को समकने के लिए यह जनना त्ावश्यक है कि उन्होंने अपने दर्शन के प्रतिपादन में स्कन्घ श्रायतन स्रीर घातु--इन तीन मागों में तत्वों का विभाजन किया है । मांग्व्यकार कपिल ने जिस तरह २५ तन्वा को माना है उसी तरह बुद्ध ने ३६ तत्त्व गिनाये हैं जो निर्वाग को छोड़कर ३५४ होते हैं । (क) स्कन्घ--स्कन्घ के सम्बन्ध में यद सिखा गया है कि रूप वदना संज्ञा संस्कार और विज्ञान-- पंचोपादान स्कन्घ कहलाते हैं | इनमें ्ाकाश को छोड़कर चार महा भूत ही रूप कहलाते हैं । सुख-दुग्ख श्रादि के ऑनुमत्र का नाम वेदना है | संज्ञा ऑभिजान को कहते हैं । मन पर जिस किसी चीज की छाप . वासना ) रह जाती है उसे संस्कार कहा जाता है । इसी तरह चेतना ( सांख्य के महत् ) को चुद्ध विज्ञान कहते हैं दर्शन का कहना है कि रूप ( चनुमेहाभूत । के सम्पक से विज्ञान की विभिन्न स्थितियां हीं बेदना संज्ञा अंग संस्कार हैं । इस रहस्य का उदघाटन करते हुए मिड्किस निकाय का सिहावदललसुत्त हता है कि संज्ञा वेदना आर विज्ञान --इन तीनों का श्न्योन्थाश्रय सम्बन्ध है या चावुसो वेदना या च सब्जा ये च किजार हमसे घम्सा संखद्धा नो विसंखट्ा न च लदभा इमेस घम्मान विनिभुजिन्वा नाना करगं फरणापेनु । पुनः दीघनिकाय इन पंचस्कन्चों के सम्बन्ध में कदना है कियेसभी श्रनित्य संस्कृत प्रतीत्यममुत्पन्न क्षयघर्मम श्र विनाश ( निरोंध वर्मा हल इति रूप॑ इति रूपस्स समुदयों इति सूपस्स अथहमों इति चेदना इति वेदनायर समु- दयो इति वेदनाय अधद्गसो इति सम्ला इति सर्ज्ञाय समुदयों इति सस्जाय शथड़सो इति १. मजिकिम-निकाय ( मद दस्थिपदो पस सुत्त । न मूलत्रकु नर विकतिम दादा प्रकतय सन बोडशकस्त विकारों न प्रकृतिने विक्ृति पुरुष ॥... -सांख्य-तन्वकौमुदी
User Reviews
No Reviews | Add Yours...