पाटलीपुत्र की कथा | Patli-puttar Ki Katha

Patli-puttar Ki Katha by सत्यकेतु विद्यालंकार - SatyaKetu Vidyalankar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ४) (१०) गुस्चर विमाग (११) डाक प्रबंध थी (१९२) राजशक्ति पर जनता का प्रमाव . . ६७ ग्यारदवाँ अष्याय : मौये काल का आर्थिक जीवन २७०--२०४ (१) कृपि *............ *रुं७% नर) व्यवसाय. + रह « ( २ ) व्यापार ः ' सदर न (४ 9 श्राने-जाने के साधन नघदे . » (5. ) तोल श्र माप के परिमाल ... . देन१ » ( ६.. मुद्रापद्ति -..' देह. (७ ) सूद के नियम र्ध्् झ ( ८ ) दासप्रथा, _ १६७: - (६ ) दुर्मों का स्वरूप र्ध्६ (१०) सावजनिक कष्टों का निवारण - बारइवाँ अथ्यायः मौयंकाली न समाज और सम्यता ३०५६--रेरे३ ' ... डर '( १ जे भारतीय समाज के विविध वर्ग. ' ३०४ थ (२) विवाह तथा स्त्रियों की स्थिति डेकछ- (२) धार्मिक विश्वास इेशूई .. '...... (४. भारतीयों का मोजन श्र पान .«... ३१४ ' ........ ' (५ ) झामोद-प्रमोद करे . , ( ६ ) रीति-रिवाज श्र स्वभाव .... . जहर (७) शिक्षयालय , ,. -.... डैंगि० तेरदबां 5:व्याय : शंभ और, करव वंश इरह--दे३६ (२ ..ममघ में फिर राज्यक्रांति जगह: (रे. शुग वुष्यमिन कैनेंड ( दे ) पुष्यमित्र के-उत्तरांविकारी . डक. ' (४) कस्व वंश, ,.. _ .. बैडेल 1 । ् | ् हर (५). शंक्ों का मार अनेशर वेश




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