वैराग्यशतक | Vairagyashatak
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.67 MB
कुल पष्ठ :
298
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
बाबू हरिदास वैध - Babu Haridas Vaidhya
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भर्तृहरि - Bhartṛhari
महाराज भर्तृहरि लगभग 0 विक्रमी संवत के काल के हैं
ये महाराज विक्रमादित्य के बड़े भाई थे और पत्नी के विश्वासघात
के कारण इनमे वैराग्य उत्पन्न हुआ
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भा चित्रसूची। ९५/.्डरशििजिर .२७ देवता तपस्त्रो न्नाज्मण को असरफल ढेता है. ॥/ २. तपस्तो ब्राह्मण मह्ाराजा भर्तुदरि को अमरफल व श्र देता डै नगर ्द्द ...... फुठ ३. मद्दाराजा भतुद्दरि रानी पिन्नला को श्रमरफन्त दतंचं भर दर स््स्८ हे ४. रानो अपने उपपति टारोग़रा को असरफन्त टती है न की १ पर दारोगा अपनों प्रगयिनों वेश्या को श्रसरफनन देता है जा ्द श्। वेश्या मद्दाराजा भर्तहरिको असरफल देती है १८ ७. मद्दाराजा भतुद्रि को संसार से विरत्ति हो जातो है... ... भर ..-.... ड़ ८. धनके लिये श्रनेक उपाय किये पर एक कानी कौड़ी भी न समिलो। ढप्णा अब तो पोछा छोड़ कद उडी? (८
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