पंचांग सारणी संस्कार दर्पण | Panchang Sarani Sanskar Darpan
श्रेणी : ज्योतिष / Astrology
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.29 MB
कुल पष्ठ :
31
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(८२%. )
परत महामीप्याश सूधारुराहमेदी भी मदर नने पघपने दनापहुदु पद्ाड्रा व
चारसें लिखांद कि पुरानी गणना शभ्रोर हृदय्गणुनाएरस जा तिथि बनाधों तो
प्रायः दोनों मानाम कभी. कभी हु सडीका भन्तर होनादाई | नंद एकादश
त्तय होजातीएं तब चंष्दव . लग द्वादशीका ब्रत .करतई शोर घाधी रातके
तर जर ट्राइशीपं जयोदशी मिलतीरै'.तद शिव्रेत प्रदाष होतारि ! जिस दिन
णुकादशीका तय होताद उस दिन संमषर है कि उसका सन ४४ दशर हो
दूर दिन ५० दरड न्यून होकर संभ, है कि ट्राद्शीको मान ४४ घोर
घाधी रावका मान '४४ घटी हा एसी दस पेज़गवोकी एकादशी शोर प्रदोप
दोनों एकददी. दिनेमें पडनादे” । घर इसका विचार होसार्चाषिये कि जब ट्राद-
शीका माल ४४ घटीका हुप्प हो अपोदशीका: पान १६-घटीने कम नहीं
इसका । फिर छे ६ घटी रात्ितक श्रयोदशी श्हनिएर. भी ट्वादशीकोा
प्रंडापत्रत्न कम होसकताह । धमशाखके जपसिइकरपटमगन्यम लिखाए
'पहहुमाद़ों विश्वादर्श-प्रदो पा इंस्तमयादुध्व घरिकाजयमुच्यते डात,,
गोडग्रन्थ तु दपुड्ट्रधात्पक एव प्रदाप उक्त । प्रदापाउस्तमपादध्व घाटका-
ट्रपापिष्यत” डाति | तत्ान्यतरादन च्याप्पूतरस्यदा ना सद खाद । 1दनद्रय सास्य न
प्षापव्याप्ल पदिकदेशस्सशें, वा उत्तरा । मात संकृलपर्याद्रद्राचुपदासन्नता दिकमू ।
डोति सकलपकालमारभ्य सत्वाव ,। पदनद्रय मद पब्याप्पभाव तु पूजा एक्रमकाल-
घ्यापिनी ग्राह्मा। केमापक़रम का लग! तु कृतिमिग्रे।शा न युर्मादर:'” । इति चचनाद
इसादि प्रमांशाक निचारस .एक़ादशानत - भार भदाप्त एक. दिन नहीं
इोसकते, कितने हो लोग एकादशी व्रत पर प्रदोपत्रत एक दिन नम ऐसा
उदाहरण बताबतरह 1के. दशुमी पद घटा भार एकादशो ४६ घटा, तथा ट्रादशी
हद घटी त्रयोद्शी “२६ घंटा भार पंदनसान ३४ घटोका हानिस, चष्शुदोका
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