सांख्यकारिका | Sankhyakarika
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.58 MB
कुल पष्ठ :
144
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्री ईश्वरकृष्ण - Shri Isvarakrsna
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मौडपादभाण्यस हिता
साख्यिकारिका
आाष्यमाव्णिनों” संस्कत-हिन्दी-व्याख्योपेता
६6
दुःखत्रयाभि घाताज्जिज्ञाता तदभिघातके हेतो ।
दृष्टे सापार्था चेन्तेकास्तात्यन्ततो5मावातू ॥ १ ॥
७ गौडपादभाष्यम् 6
कपिलाय नमस्तरुम, येनाविद्योदधी जगति मग्ने ।
काशुण्याद् सांख्यमयी, नौरिव विहिता प्रतरणाय ॥ १ ॥
अत्पग्रस्प॑ स्पष्ट. प्रमाणसिंद्धान्तहेतुभिर्युक्तमुर ।
शास्त्र शिप्यपहिताय.. समासतोण्हें प्रवक्ष्पामि ॥ २ ॥
दुःखन्नयेति । अस्था ८ मार्याया उपोद्वात: क्रियते* । इद भगवान् कहा-
सुत्त: कपिलो नाम, ततु यथा--
हू सनकश्च सनन्दश्च ठृतीयरच सनातन: ।-
आसुरि* कपिलश्चैंच वोदु: पश्चशिखस्तथा 1
इत्येति ब्रह्मण: पुा: सप्त प्रोप्ता महूर्पय: ॥
१. सत्वरजस्तमो भिस्विगुणै: प्रतायमानेज्मुष्मिन्मायाप्रअब्वे निमज्जतां
प्राणिनामुद्धरणार्थ “संख्या प्रकुबंते चेद॑ प्रकृति च॒ भचक्षते । चतुर्षिशतितत्त्वासि
लेप सांख्या: प्रकीतिता: ॥' इत्यायुक्तदिशाउन्वर्यसंज्ञा सांख्यदर्शनात्मिका नौरिव
चेन महर्पिणा विनिमिता तस्मै नम इति भाव: 1
२. दुष्टादीनि प्रमाणानिं संत्का्य॑वादा दिरूपा: साख्यसिद्धान्ता: अचव्यक्ता-
दिप्रमे यसाघकहेतवश्च तैयु क्तमित्यर्थ: |
३: प्राहंज़िकं पीठमारब्यत इत्य:
User Reviews
No Reviews | Add Yours...