मुंहता नैणसी री ख्यात भाग 4 | Munhata Nainsi Ri Khyat Bhag - 4

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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॥ रू दिव थे मूमिका राजस्थान वीरो झर सतियों का देश है। इसकी मिट्ठो का कणन्कण जीवनी-दक्ति का स्रोत है। सहस्रों भ्रप्रतिम धूरवीरो के श्रोजस्वित रक्त की प्रसख्य भावनाभ्ो श्ौर श्रनगिनत सतियो के जौहर की पांवन भस्म के योग से उसमें वह जीवनी-शक्ति समाई हुई है कि जिसके दर्भन मात्र से मुर्दा दिलो में शूरत्व उत्पन्न हो जाता है। वह जीवन की सार्थकता भ्रौर भ्रनोखे जोवट की एक सजीवनी है । उसमें जीवन की निस्पृहता, सहनशीलता, हृढता झोर कठोरता के साथ मावोद्रेकता श्रौर मानवीय सवेदना की सुपमा झोतप्रोत है । राजस्थान की सबसे बढ़ी विशेषता यह रही है कि इसका इतिहास स्वय युद्ध कला के विशारद मातुभक्त वीरों ने खड्ग-लेखनी की नोक से श्रपनी रक्त-मरि द्वारा चित्रित किया हैं। यह धसख्य सती वोरागनाओ के जौहर-यज्ञो घोर वीरो के मरणोत्सवों (भ्रमूतपूर्वे झौर श्रगणित नारी भौर नरमेघो ) का इतिहास है। जोना है मरने के लिये श्र मरना है जोने के लिये--इस रहस्यमय जीवन-मरण विज्ञान के नित्य व्यवहार झौर प्रत्यक्ष उदाहरणों की श्रनुसूति राजस्थान का इतिहास है। वोरो के समान ही युग-यु्ों तक माह्मज्ञानोपदेश भ्ोर पथप्रदर्शन करने वाले श्रमेको ज्ञानो-भवत श्रौर कवि-कुसुम यहाँ प्रफुल्लित हुए हैं, जिनकी मधुर शुवास विद्व-साहित्य में भ्रजोड है। ऐसे वोरो, भक्तों झौर कवियों का राजस्थानी साहित्य प्रत्येक दिशा में भागे बढ़ा हुमा हू । राजस्थानी साहित्य गद्य (ख्यात, वात, हकीकत, वचनिका इत्यादि) श्रोर पद्य की झनेक झेलिया श्रपनी मौलिकता के लिये प्रसिद्ध हैं। इन सभी परपराश्रो में झ्रनेक उत्कृष्ठ कोटि की रचनाओं का सृजन हुमा है। श्रनेक विद्वानों मे इस भाषा को सम्पन्नता व साहित्य के वेशिप्टय पर भ्रन्ूठे उद्गार प्रकट किये हैं 1 है. (मै) ि8ु्िधिबय। 5. दि 1विप्ट्पघूटूट 0 3. णिवएड वे पिटणाए 9९०916- रभुसिडपए 2 दटिडधपाट 15 2 पच्टाइपपाड ०. टिएडपु, 5 फचिट्ट अ0पट् धट 1॥0टा40पाट5 ०६ फट फ्ण्ा क ए्सपुएट- दब इपरठेक डप0एत 96. पाबतेंट ८०फपाइएजु दणि फट फुण्णाी ० उप98८0 012, . फीट चणद ०६ पट




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