सुधारस स्तवन संग्रह भाग 1-2-3 | Sudharas Stavan Sangrah Bhag-1-2-3

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१८) देसिआणं, घम्मनायगाएं, घम्मसारद्दीण, घम्मवरचा उरंत, चक्‍्क्वट्रीण अप्पटिदियवरनाणँ, द्सणघरार्ण विभरछउमाण, जिणाएं, जायवाण, तिननाणं, ता रयाण, बुद्धाण, वोहियाण, मुत्तांणं, मोअगाण सब्वन्चु्ण॑ सवदरिसिण, सिव मयल मरुअ मे णत मख्म्य, मव्वावाह मपुणरावित्ति सिद्धिगड,नाएं घेय ठाण सपत्ताण नमोजिणाण॑ जियमयाण जेअ अई आमिद्धा जेअमविस्सैतिणा गएकाले, सपइअव ट्रमाणा सवेति विहेणवदामि ॥ (पढी) ॥ जावति चेइजाइ ॥ जावंति चेइभाइ उद्देभ मद्देज तिरिम लो एज मघाइताइयद इदसतों तथ्यसताई ॥ १ ॥। ( पठी खमासमण देह ) हित चापन कं बिसाहु मरदेखय मददादिदे देस वेषि तमिपणओ तिधिटेण तिटर कियाण 1श|




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