मिलिन्द - प्रश्न | Milind Prashan
श्रेणी : इतिहास / History, धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13.78 MB
कुल पष्ठ :
605
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about भिक्षु जगदीश काश्यप - Bhikshu Jagdish Kashyap
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विघय
३--वेदनाओं के विपय में कर के - सर कक
श्छ--परिवर्तन में भी व्यक्तित्व का रहना बज. पमस्यों
११--नागसेन के पुनर्जन्म के विपय में प्रइन कक
१६--नाम श्रौर रुप तथा उनका परस्पर आश्रित होना ,
१७--काल के विपय में के _ सम स्मस्र ः
द्वितीय चर्ग समाप्त
१८--तीनों काल का मूल अचविद्या का. नर लग
१६--काल के आरम्भ का पता नहीं
२०--ारम्भ का पता. .... .. न... दा
२१---संस्कार की उत्पत्ति श्रौर उससे मक्ति
२२-- वही चीजें पैदा होती हूं जिनकी स्थिति का प्रवाह पहले
से चला आता हैं... ... द
२३--हम लोगों के भीतर कोई आत्मा नहीं है
२४-जजहाँ जहाँ चक्षुविज्ञान होता हैं वहाँ वहाँ मंगोविज्ञान
२५--मनोविज्ञान के होने से वेदना भी होती हैं
(क) स्पर्श की पहचान
(ख) वेदना की पहचान. ...... «««. «--
(ग) संज्ञा की पहचान
(घ) चेतना की पहुचान
(ड) विज्ञान की पहचान... «-«
(व) वितकं की पहचान
,्छ विचार की पहचात ,.... »««.. «००
तीसरा वर्ग समास .
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