मिलिन्द - प्रश्न | Milind Prashan

Milind Prashan by भिक्षु जगदीश काश्यप - Bhikshu Jagdish Kashyap

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विघय ३--वेदनाओं के विपय में कर के - सर कक श्छ--परिवर्तन में भी व्यक्तित्व का रहना बज. पमस्यों ११--नागसेन के पुनर्जन्म के विपय में प्रइन कक १६--नाम श्रौर रुप तथा उनका परस्पर आश्रित होना , १७--काल के विपय में के _ सम स्मस्र ः द्वितीय चर्ग समाप्त १८--तीनों काल का मूल अचविद्या का. नर लग १६--काल के आरम्भ का पता नहीं २०--ारम्भ का पता. .... .. न... दा २१---संस्कार की उत्पत्ति श्रौर उससे मक्ति २२-- वही चीजें पैदा होती हूं जिनकी स्थिति का प्रवाह पहले से चला आता हैं... ... द २३--हम लोगों के भीतर कोई आत्मा नहीं है २४-जजहाँ जहाँ चक्षुविज्ञान होता हैं वहाँ वहाँ मंगोविज्ञान २५--मनोविज्ञान के होने से वेदना भी होती हैं (क) स्पर्श की पहचान (ख) वेदना की पहचान. ...... «««. «-- (ग) संज्ञा की पहचान (घ) चेतना की पहुचान (ड) विज्ञान की पहचान... «-« (व) वितकं की पहचान ,्छ विचार की पहचात ,.... »««.. «०० तीसरा वर्ग समास . प्र्ष्ट पट प्र ६० द्श् ६ घर ये ्् घ५ द्५्‌ घ्८ ७ ७ 5 ४ प्र 5७५ ७६ 5 ७७-




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