कल्याण महाभारत प्रथम खंड संक्षिप्त | Kalyaan Mahabharat Pratham Sanshipta Khand

Book Image : कल्याण महाभारत प्रथम खंड संक्षिप्त  - Kalyaan Mahabharat Pratham Sanshipta Khand

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He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पृष्ठ न्सेंख्या ३८७-आचार्य द्रोणका आक्रमण; घटोत्कच और अरवत्यामाका घोर युद्ध ९ ३८८-वाह्ीक और ध्रृतराष्ट्रके दस पु्रौंका वध? युधिष्टिका पराक्रम; कर्ण तथा कृपसें विवाद और अश्वत्यामाका कोप ३८ ९-र्जुनके द्वारा कर्णकी पराजय और अद्वत्यामाका दुर्योधनके साथ संवाद तथा पाद्यालके साथ घोर युद्ध ३९०-कौरव-सेनाका. संहार) सोमदत्तका वध :. युधिष्टिका पराक्रम और दोनों सेनाओऑमें दीपकका प्रकाश ३९१-द्योधनका सैनिकोॉंको प्रोत्साइन) कृतवर्माका पराक्रम; सात्यकिद्वारा भूरिका वध और घटोत्कचके साथ अश्वस्थामाका युद्ध ३९२-भीमसेनके द्वारा दुर्योधनकी; कर्णके द्वारा सदददेवकी, शब्यके द्वारा विराटकी और दतानीकके द्वारा चित्रसेनकी पराजय ३९३-द्ुपद-ृपसेन) प्रतिविन्ध्य-दुश्शासन, नऊुछ दकुनि और शिखण्डी-कृपाचार्यका युद्ध तथा धूप्टयुस, सात्यकि एवं अर्जुनका पराक्रम ३९४-द्रोण और कर्णके द्वारा पाण्डव-सेनाका संहार तथा. भयभीत हुए युधिष्टिकी बातसे श्रीकृष्णका घटोत्कचको कर्णसे युद्ध करनेके लिये भेजना हे ३९५-घटोत्कचके दाथसे अलम्बुप ( द्वितीय )का वध तथा कर्ण और घटोत्कचका घोर युद्ध ३९६-भीमसेनके साथ अलायुधका युद्ध तथा घटोत्कचके हाथसे अलायुधका वध ३९७-घटोत्कचका पराक्रम और कर्णकी अमोघ शक्तिसे उसका चघ ३९८-पयोव्कचकी सृ्युे मगवानकी प्रसन्नता तथा पाण्डन-हितेपी मगवानके द्वारा कंणका वुद्धिमोषट * ३९९-युचिष्ठिरका विषाद और भगवान्‌ कृष्ण ता १-पीजप्ण-सदिमा (महाभारत, समापर्च ) र-माम -मदमारतके प्रतियाय भीकृष्ण (मदद भारततात्वयंप्रकाद) ह -. टट४ ८८ ८८ ८५९१९ ८९ हे ८९५ ८९६ ८९९ ०१ ९०५ ९०७ ९०९ ' ब्यासलीके द्वारा उसका निवारण -अर्जुनकी आज्ञासे दोनों -सेनाओंका रणभूमिमें दायन तथा दु्ौधन और द्रोणकी. रोषपूर्ण ... बातचीत ४० १-दोनीं दर्का दन्दयुद्ध; विराठ) सपौत्र ढुपद और केकेयादिका वध; दुर्योधन और दुश्शासन- की पराजय; भीम-कर्ण तथा अजुन-द्रोणका युद्ध. *** . द कर्म; शऋषियोंका द्रोणको अख्र व्यागनेका आदेश तथा. अश्वत्थामाकी शृष्यु सुनकर द्रोणका जीवनसे--नियाश होना ४०३-आचार्य द्रोणका बुध _ '**..... _ **+ पृष्ट-संख्या ९११ ९१२ . ९१५ ४०२-सात्यकि और दुयौधनका युद्ध) द्रोणका घोर . कक ९१७... ९१९ ४०४-कोरवबौका भयमीत होकर भागनां; -पिताकी ' मृत्यु सुनकर अश्वत्थामाका कोप और उसके . द्वारा नारायणास्रका प्रयोग ... *++ ४०५-अर्जुनके द्वारा युधिष्टिको उछाहना, मीमका क्रोध; घृष्टयुन्नका द्रोणके विषयस आश्षेप और सात्यकिके साथ उसका विवाद ...... *** ४०६-नारायणारका प्रभाव देख युधिष्टिरका विधाद; ९९९. ९२५ [ तथा भगवान्‌ कृष्णके बताये हुए उपायसे उसका - - निवारण) अश्वत्यामाके साथ 'घृष्टयुझ्न, सात्यकि तथा भीमसेनका घोर युद्ध *** कक ४०७-अश्वस्थामाके द्वारा आग्नेयास्रका प्रयोग और व्यासजीका उसे श्रीकृष्ण और अर्जुनकी ' महिमा सुनाना ४०८-व्यासजी के द्वारा अ्जुनके प्रति भगवान्‌ शहर की मदिमाका वर्णन द्रोणपवें समाप्त १४-मारत और मद्दाभारत ( श्रीयुतत एस० एन८ ताडपत्रीकर; एम्‌० ए० ) प्० १५-'वा पट पीत की फहरान” ( पं० श्रीचन्द्रबलिजी पाण्डे; एमू० ए० ) १६-नि्ेदन आर क्षमाधार्थना ( सम्पादक ) नल घट, . संकलित र्‌ र्‌ ० ७ श्रीकृप्णठे याचना (मदद भारततात्पर्वप्रकाश) मक्तिकों मदिमा 22 दि लू ९२७ ९ ९३३ के. थे श्ं ' ५२३२ ६६०




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