शेख सादी गुलिस्तां | Sheikh Saadi Gulistaam

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Sheikh Saadi Gulistaam by डॉ. नीलिमा सिंह -Dr. Neelima Singhराम किशोर सक्सेना - Ram Kishore Saxena

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राम किशोर सक्सेना - Ram Kishore Saxena

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अपने उस कुरूप बेटे की ओर नफरतंश्प शहूजादा बडा चतुर था । तत्कास्टिस भाव उठा है। उसने बादशाह से कहा, “ठंड पका पर उीट मूर्ख से कही अच्छा होता है। वया यह सच नेहीप्टेडडिटलने: नरेश मे छोटी होती है, वह कौमत में वड़ी होती है ? जैसे बकरी हलाल है और हाथी मु्दार !”* म्श “तुर पर्वत एक बहुत छोटा पर्वत है परन्तु सब पर्वतो में श्रेष्ठ गिना जाता है ।' 4 “क्या आपने वह बात नहीं सुनीं, जो एक दुवले-पतले विद्वान ने एवी मोटे-ताजे मूर्ख से कही थी? उसने कहा था, “अरबी घोड़ा चाहे दुबला ही क्‍यों न हो, वह शुड-के-झड गधो से कहीं अधिक उपयोगी होता है ।”' शहुजादे की सारग्ित बातें सुनकर बादशाह प्रसस्न हुआ । दरबार के लोगो को भी उसकी बातें पसन्द आईं, परन्तु उसके भाइयो को बहुत बुरा लगा । कक 'जब तक भनुष्य बोलता नहीं, उसके गुण ओर अवगुण प्रकट नहीं हीते। [| यह मत समझो कि हर जाड़ी सुनी होगी, हो सकता है कि उसके भीतर कोई शेर सो रहा हो ।' इस घटना के कुछ ही समय पश्चात्‌ वादशाह को एक शक्तिशाली शत्रु का सामना करना पड़ा । जब दोनों और की सेनाए आमने-सामने आईं, तो सबसे पहला सिपाही, जिसने युद्ध-भूमि से घोड़ा दौडाया, वहीं छोटे कद वाला शहूजादा था । आते ही उसने शत्रु को ललकारकर कहा : **आज के दिन तू भले ही मेरे सिर को खाक और खून में लथपथ पड़ा देखे, सेकिन मेरी पीठ नहीं देख सकेगा ।” “जो सिपाही लड़ने जाता है, वह अपने खून की वाजी लगाता है, लेकिन जो कायर लड़ाई के मैदान से भागता है, वह सारे लश्कर का खून करवाता है ।* नव यह कहकर वह शमु-सेना पर टूट पडा और देखतेददी-देखते उसने कई सैनिकों को मार गिराया । तव वह बादशाह के सामने आया और उसके ना 1- धर्मादुसार जोदित काटी गई (छाने योग्य) 2-. अपनी मौत सरा हुआ पशु (अलाद्य ) 3: बहू पर्वत जहां खुदा का जलवा देखकर हुजरत मूसा बेहोश हो गए थे 1




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