राज्यों के शासन व उनकी राजनीति में राज्यपालों की भूमिका | Rajyo Ke Sashan Ya Unaki Rajniti Mein Rajypalon Ki Bhumika

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Rajyo Ke Sashan Ya Unaki Rajniti Mein Rajypalon Ki Bhumika  by डॉ. नीलिमा सिंह -Dr. Neelima Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दीवान ( प्रान्त के राजस्व का प्रधान अधिकारी ) प्राय: सूबेदार का प्रतिद्वन्दी होता था । प्रत्येक को यह आज्ञा थी कि वह “' दूसरे के ऊपर कड़ी नजर रखे '' ताकि दोनों में कोई अत्यधिक शक्तिशाली न बन सके |! पेशवाओं के अधीन तरफ परगना, सरकार तथा सूबा आदि शब्द अविवेक रूप से प्रयोग किया जाता था। प्राय: सूबे को प्रान्त कहते थे, तथा तरफ अथवा परगने को महल भी कहते थे। खानदेश, गुजरात, तथा कर्नाटक जैसे बडे-2 प्रान्त सर सूबेदार के अधीन होते थे 2 शिवाजी का राज्य चार प्रान्तों में बंटा हुआ था । प्रत्येक प्रान्त एक वाइसराय के अधिकार में था 8 मुगलकाल में सामन्तवादी व्यवस्था अपने चरमोत्कर्ष पर थी और अंग्रेजों के आगमन के समय भारत में सामन्तवादी व्यवस्था ही फल फूल रही थी। अंग्रेजों ने स्वंय भी बंगाल को दीवानी प्रदान की थी। अंग्रेंजी शासन ने पड़ोसी राज्यों से राजनीतिक सौदेबाजी जारी रखी। इस शासन ने शक्तिशाली प्रशासन को पुर्नस्थापना को जो सम्पूर्ण भारत को एक ही न्याय व्यवस्था के अधीन कर सके | 19 वीं शताब्दी के अन्त में कई 'विधिपत्र व्यावसायिक फौजदारी तथा प्रक्रियात्मक कानूनों के एकीकरण हेतु जारी किये गये । ब्रिटिश शासन व्यवस्था यद्यपि ब्रिटिश भारत को एक रखने में रूचि रखती थी परन्तु वास्तव में उसकी रूचि राष्ट्रीयता की भावना उत्पन्न करने की न थी जो थोडी बहुत राष्ट्रीय आन्दोलन के समय प्रारम्भ हुयी । अंग्रेजो ने राजनीतिक रूप से निर्वाचित प्रान्तीय सरकार को विनती तो स्वीकार कर ली परन्तु केन्द्र के प्रान्तीय सरकार के मामलों में हस्तक्षेप का अधिकार बना रहा 6 प्रान्तों में गवर्नर का विस्तृत रूप से कार्यक्षेत्र अंग्रेजो के शासन से प्रारम्भ हुआ जो भारतीय स्वतंत्रता तक व्यापक स्तर प्राप्त कर कुछ सीमा तक आधुनिक राज्यपाल को स्थिति का आर्दश बना | ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत राज्यपालों की स्थिति :- राज्यपाल का वर्तमान पद भारतीय राजनीतिक व्यवस्था के लिये कोई नई वस्तु नहीं है । इसकी 1. ... हरिशचन्द्र वर्मा - पूर्वोंधृत - पृष्ठ 275 2. .... बी. एल. ग्रोवर- आधुनिक भारत का इतिहास ( 1707 से वर्तमान समय तक )- पृष्ठ- 54 3. .... डा0 आर्शीवादी लाल श्रीवास्तव- भारत का इतिहास (1000 से 1707 ई0 तक) पृष्ठ- 702 4. ... राजीव धवन पूर्वोधृत - पृष्ठ- 7




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