वाल्मीकि के एतिहासिक राम | Valmiki Ke Etihasik Ram

Book Image : वाल्मीकि के एतिहासिक राम  - Valmiki Ke Etihasik Ram

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सब कुछ समाप्ति कर जससेवा का ब्रत, दुष्टो का सिर्दलन, दुष्टी के चगुर्ल से लिप्पाथ लोगों की मुक्ति और रक्षा, धर्म का अभ्युस्थान अर्थात समाज की घारणा, जिससे विपमता का निर्मुलन, विभेदी मे सामजह्य, परस्पर शन्नुता की निवारण तथा चिपुल विविधता मे प्रकट होने वाले जन-जीवन में मौलिक एकता का साक्षात्कार होता है। मानव का नेतृत्व करने वाले लोगों में, सार रूप मे जिन गुणों की आवश्यकता हे और राम राज्य की प्रतिप्ठपना की जो पुर्वपीठिका है, वह पूर्णतया शुद्ध व्यक्ति गत जीवन, समाज के सुख-दुख में समरस होने की क्षमता जोर परिणामत्त स्वयं स्वीकृत आत्मसयमी जीवन और अजेय तैमिक शो्गं हारा भी, जनता के इन क्‍्लेशों को उत्पन्न करने बाली आक्रमक शक्तियों का दमन करने का चादुर्य, सत्य के प्रति प्रेम, वचन-पालन का सकल्प, फिर उसके लिये चवाहिं जी थी त्याग करना पड़े और जने-हिंव-सिद्धि के हेतु परिपूर्ण आत्मसमर्पण, चाहे उमके लिये फिद कितने ही त्याग की आवश्यकता हो भौर सबसे महत्वपूर्ण बात हूं समाज से घम भर सस्क्ृति पर अटल निष्ठा । थे तथा अन्य अनक गुण जो इस महान जीवन मे प्रकट हुए हैं, उत्दे उन सब लोगो को अपने अन्दर निर्माण करने की आवश्यकता हे जो हमरि समाज को आज ढु ख-हारिद्य स समृद्वावस्था की ओर तथा अध पतन स गौरव की ओर ले जाने के लिये प्रस्तुत है । अन्यथा 'रामराज्य केवस एक अर्थ हीन शब्द के रुप मे हमारी जिल्ला पर रह जायगा और वह कत्पना स्वप्न रह जायेंगी, साकार नहीं होगी । श्री रामचन्द्र के जीवन में मानवता की महानता निहित है । आज समस्त देश पर नैराण्य एव क्षोम की घटायें घिरी डुई हू और जनता अपुमव करती है कि वें सब लोग, जिनके हाथ मे नेतृत्व की वागडोर हूँ, वैसे नहीं है जेसे उन्हें होना चाहियें या । लोगो के मन की यह सुप्त अभिलापा कि उन्हें प्रकाश गौर योग्य मार्गदर्शन तथा ऐसी प्रेरणा प्राप्त हो, जिससे निराणा के घनाधकार में भी प्रकाश दिखाई दे, दिन-प्रतिदित भौर अधिक तीव्र होती जा रही है । ऐसी परि- स्थिति में श्री 'पमचन्द्र का जीवन हमारे पय-म्रदर्णन के शिये आशा की किरण है । मा० स० गोलचलकर द्वितीय सरसघचालक, राष्ट्रीय स्वयमेवक संघ अभाव




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