अमृता प्रीतम चुनी हुई कहानियां चुने हुए निबंध | Amrita Pritam Chunee Hui Kahaniyan Chune Hue Nibandha
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.4 MB
कुल पष्ठ :
385
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बरफी में डालकर खिलायी थी । और नही तो क्या वह ऐसे ही अपने माँ- चाप को छोड़कर चली जाती ? वह उस को बहुत चीज़ें लाकर देता थां। सहर से घोती लाता था चूडियाँ भी लाता था शीशे की भीर मोतियो की माला भी । गये तो चीजें हुईं न पर यह तुम्हें कंसे मालूम हुआ कि उस ने जगली बुटी खिलायी थी 1 नहीं खिलायी थी तो फिर वह उस को प्रेम वयो करने लग गयी ? प्रेम तो यों भी हो जाता है। हीं ऐसे नही होता । जिस से माँ बाप बुरा मान जायें भला उस से प्रेम बसे हो सकता है? तू ने वह जगली बूटी देखी है ? मैं ने नही देखी । वो तो बडी दूर से लाते हैं। फिर छिपाकर मिठाई में हाल देते हैं या पान मे डाल देते हैं। मेरी माँ ने तो पहले ही बता दिया था कि किसी के हाथ से मिठाई नही खाना 1 तू ने बहुत अच्छा किया कि किसी के हाथ से मिठाई नहीं खायी। पर तेरी उस सखी ने कंसे खा ली ? अपना किया पायेगी 1 किया पायेगी । कहने को तो अगूरी ने कह दिया पर फिर शायद उसे सहेली का स्नेह आ शया या तरस आा गया दुषे हुए मन से कहो लगी बावरी हो गयी थी बेचारी बालो मे कघी भी नहीं लगाती थी। रात को उठ उठकर गाने गाती थी । क्या गाती थी ? पता नहीं क्या गाती थी । जो कोई बूटी खा लेती है बहुत गाती है। रोती भी बहुत है । बात गाने से रोने पर भा पहुची थी । इसलिए मैं ने झगूरी से और कुछ न मूछा । आर अब बडे थोड़े हो दिनो की बात है। एक दिन अगूरी नीम के पेड के नीचे चुप- चाप मेरे पास भा खडी हुई । पहले जब अगूरी माया करती थी तो छन छन करती घीस गज़ दूर से ही उस के आने की मावाज़ सुनायी दे जाती थी पर आज उस के की झाँजरें पता नहीं कहाँ खोयी हुई थीं । मैं ने किताब से सिर उठाया और पूछा कया बात है अगूरी ? अगूरी पहले कितनी ही देर मेरी ओर देखती रही फिर धीरे से कहते लगी मुझे पदना सिखा दो । कया हुआ अयूरी ? जगली सदी / 7
User Reviews
No Reviews | Add Yours...