बाल निति कथा भाग - २ | Baal Niti Katha Bhag - 2

Book Image : बाल निति कथा भाग - २  - Baal Niti Katha Bhag - 2

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

Author Image Avatar

प्रेमचंद - Premchand

प्रेमचंद का जन्म ३१ जुलाई १८८० को वाराणसी जिले (उत्तर प्रदेश) के लमही गाँव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम आनन्दी देवी तथा पिता का नाम मुंशी अजायबराय था जो लमही में डाकमुंशी थे। प्रेमचंद की आरंभिक शिक्षा फ़ारसी में हुई। सात वर्ष की अवस्था में उनकी माता तथा चौदह वर्ष की अवस्था में उनके पिता का देहान्त हो गया जिसके कारण उनका प्रारंभिक जीवन संघर्षमय रहा। उनकी बचपन से ही पढ़ने में बहुत रुचि थी। १३ साल की उम्र में ही उन्‍होंने तिलिस्म-ए-होशरुबा पढ़ लिया और उन्होंने उर्दू के मशहूर रचनाकार रतननाथ 'शरसार', मिर्ज़ा हादी रुस्वा और मौलाना शरर के उपन्‍यासों से परिचय प्राप्‍त कर लिया। उनक

Read More About Premchand

श्याम दशकर - Shyam Dashakar

No Information available about श्याम दशकर - Shyam Dashakar

Add Infomation AboutShyam Dashakar

श्री बदरीनाथ भट्ट - Shree Badareenath Bhatt

No Information available about श्री बदरीनाथ भट्ट - Shree Badareenath Bhatt

Add Infomation AboutShree Badareenath Bhatt

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
चाल नीति-कथा रण पर कम न दो जाप) स्पार्थ श्ादि दोषों से दव न जाय साय पिगढू न साय । झय प्रेस का तीसरा फुडाला सेते हैं । इसमें तुम्दारा दाम, शदर, प्रांत छोर देश शामिल दे । दरपफ मुप्य का 'घर्म है फि जिस भाव धीर सम्मान से चदद झपने साता- ईपेता फी सेधा करता दै उसी भाव शोर सम्मान से धपने दाम, शद्र, प्रात शोर देश को भताईं सोचे शौर सेवा करे। जो फुद दम दें उसके लिये असे भपने माँ वाप का उपकार मानना चाहिए देखे दी श्रपने देश का भी सामना चादिए जिसके 'मगिनती प्रभावों के यीच में एम यड्े छोते हूं शीर जिस फी भापा, सादित्य, ट्व्य, राज्य झादि हमें बिना मिदनत मिलते दै। उप कार केरल हृदय में ही भरकर न रखना यादिप घदिफ देश सेवा के रूप में उसे मकट करना चादिप। परंतु जिस प्रकार अपने कुडडन के प्रेम में हमें, अपने देश का दित न भूलना चादिए उसी प्रकार झपने देश का इदत करते समय मजुप्य को मजुप्य की हैसियत से सारी सचुप्यजाति के प्रति--परदेशियों के घ्रति भी-नापना कर्तेष्य न भूलना चाहिए । सारी मचुष्पजाति फे प्रति इस चेम को दम प्रेम करा चौथा कुडाला फंगे 1 परंतु झपने प्रेम के पिस्तार में में यदीं न सक जाना ब्वादिए । जीचमाओ के दित की इच्छा करना हमारे प्रेम का व्तिम ऊराला हैं । इसी से घुद्ध मगयान, ने कहा था... पलक... श्र ज




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now