शेक्सपियर के नाटक | Shakespeare Ke Natak

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्र --१६०४। ये नाटक शेवसपियर मे श्रपनी रुचि से नहीं लिखे थे । नाटक कम्पनी के श्राग्रह पर या उनकी ज़वरदस्ती से वे-रुचि के लिखे गये थे । यही इन सुखान्त नाटकों का त्तीखापन या उनकी कुत्ता है । जैसे को तेसा नाटक तो एक प्रकार से दुःखास्त ही है । ऐसा होना स्वाभाविक था; क्योंकि उस वर्ष (१६०४) शेक्सपियर ने श्राधेलो (0106110) नामक दुःखान्त नाटक की रचना भी की थी । दुःखान्तता का उस पर रंग चढ़ा हुमा था । ट्रॉइलस आर कैसीडा (पप७१1०४ 86 (ा&5नंत8] को दुखान्त या सुखान्त कहना श्र्थात्‌ वस्तुत: वह किस वर्ग का है, यह निश्चय करना ही कठिन है । वही भला है, जिसका भ्रन्त भला नाटक एक पुराने सुखान्त नादक शू.0४६ !.400घा5 ए0ाए८' की छाया में लिखा गया है। यह साधारण कोटि का नाटक है। दुम्खान्त-सुलान्त नाटक (पर38-0०एए०ठोट5) शेबसपियर के कई सुन्दर नाटकों में दु खान्त झौर सुखास्त दोनो की मिश्रित भावना यें हैं। (१) पेरिक्लीज, टाइर का राजकुमार (८1065, एपं006 0 पुषाट, १६०८ ई०)--नाटक कम्पनी को एक पुराना नाटक मिल गया था, उसे ही शेषसपियर ने सुधार दिया । यह उसका मौलिक नाटक नही है । (२) सिंवेलिन (ए्र0०धपप्दी--रचनाकाल १६०६-१० ब्लेक' फ़ायरो (818 0्ं205) के लिए इस नाटक की रचना की गई थी । (सिण्ट डोमिनिक सम्प्रदाय के साधु विशेष को उनके श्याम शिरोवेश के कारण ब्लैक फ़ायर कहते हैं) । यह नाटक गानों श्रौर ध्वनियों की गडगड़ाहट के लिए प्रसिद्ध है। सन्‌ १६३४ में जब राजदरवार में दिखाया गया तो इसे 'राजा चाह्सें ने बहुत पसन्द किया था! (३) शरद कऋतु की कहानी (106 फ्रशाशा& 5 वीटी १६११ की रचना है। सिवेलिन से कही अच्छी है। इसमें विस्मयकारक दृश्यों की प्रधानता है । इसकी लोकप्रियता इस वात से स्पप्ट है कि नाटकशालायों पर प्रतिबन्ध लगाये जाने से पुर्व यह कम-से-कम ६ वार राजदरवार (कोट मे दिखाई गई थी । (४) तूफान (एफ6 पर&ण्फृटध--यह सन्‌ १६११ की रचना है 1 इसे




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