हाड़ौती साहित्य और स्वरूप | Haadotee Sahitya Aur Swaroop

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Haadotee Sahitya Aur Swaroop by कन्हैयालाल शर्मा - Kanhaiyalal Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कि .हाडौती साहित्य श्नौर स्वरूप १. उत्तरी दाड़ौती । २. दक्षिणी हाड़ौती । उत्तरी तथा दक्षिणी हाड़ौती के वीच की सीमा चम्चल नदी हारा बनाई गई है । पर चम्बल के उत्तर का वह भाग, जो तत्कालीन कोटा राज्य का ही भाग था, दक्षिणी हाड़ीती के अन्तगंत ही रहेगा, क्योंकि कोटा राज्य के निर्माण के उपरान्त इस भूभाग का प्रेरणा-केन्द्र कोटा रहा है । इस प्रकार वर्तंमात बूँदी जिले का वह भाग जो हाड़ौती-माषी है उत्तरी हाड़ीती क्षेत्र में आता है श्रौर कोटा जिला का हाड़ीती-भाषी क्षेत्र दक्षिणी हाड़ौती-क्षेत्र में झाता है । उत्तरी हाड़ीती श्रौर दक्षिणी हाड़ौती का झंतर इस प्रकार है : १. उत्तरी हाड़ौती में पुरुषवाचक सवनामों में उत्तम पुरुष तथा मध्यम पुरुष में क्रमदा: मे और 'ते' रूप प्राय: सुन पड़ते हैं । ये एकवचन में भी प्रयुक्त होते हैं मौर बहुबचन में भी, पर इनके साथ क्रिया सदैव वहुवचन की श्ाती है । दक्षिणी हाड़ीती में क्रमदा: म्हूं, थू या तू रूप एकवचनीय हैं श्र म्हां तथा थां बहुवचचन के रूप हैं तथा क्रिया ऐसे शब्दों के अनुरूप लिंग-वचन में रहती है । उत्तरी हाड़ीती के उपयुवत रूपों के श्रतिरिवत दक्षिणी हाड़ीती के रूप भी उत्तरी हाड़ौती क्षेत्र में प्रयुक्त होते हैं । र. दक्षिणी हाड़ीती में क्रिया के सामान्य सचिष्यत्‌ के रूप गो, यूँ, गा शदि को क्रिप्रा के वर्तमान निक्चयार्थ रूप में जोड़ने से सम्पन्न होते हैं, पर उत्तरी हाड़ीती में ये घातु-दब्दों के साथ -सी, -स्यूँ आदि के योग से भी बनते हैं । इस प्र कार दक्षिणी हाड़ीती के “तु शावगो' वाक्य के श्रतिरिक्त “तु जासी'-- प्रकार के लाक्य भी मिलते हैं । ३. जहाँ दक्षिणी ह्ाड़ीती में यहां, ज्याँ, खाँ झादि स्थानवाचक क्रिया- विदेषण प्राय: सुनने को मिलते हैं श्रौर स्थान-संकेत-वाचक क्रिया-विदोषण श्रठीं, उठीं, जठीं भी सुने जाते हैं, वहाँ उत्तरी हाड़ीती में श्रठै, उठ, कठी शाव्द प्राय: सुनने में आते हैं । शेखावाटी में भी यही स्थान-वाचक क्रिया-विदेपण प्रयुक्त होते हैं 1




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