जीव विज्ञान कोश | Jeev Vigyan Kosh

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Jeev Vigyan Kosh by डॉ महेश्वर सिंह - Shree Maheswar Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भर्शणाणाफॉंपंट 8्नणाणफृषिंट--(0, क्कंश०, ०णा०्०8160; कण कथ, 5808]6) अनिश्चिताकार; जंसे, पेप्टिक ग्रन्थियों की केन्द्रीय कोशिकायें । शलाफुफि0 शान (01. पर्थुए, 0०6; डपा०5, एम) जनक-संतति युग्मन, आआतृ-भगिनी संगम; जैसे कुछ चीटीयों में भाई-वहिन का संगम (00808) । घपलफफ0एड -न[(ार. बशू(०5, छाणटा, संघी; जैसे पुककेसर (5(2016705) के पु'तंतु (ह800670) के वण्डल | [देखिये-फएणा86101:005 एक संघी ] [एंबतलफ०००5-दिंसंघी ] बप्लावपप्रिट--(0ा८. व, प्रणड़ बहाव णा, पट€) जद मिका; अशाखीय । शपेलापंए०ट्टींध--(ए. ८, 0; बंशाविणा, घिटट; इंणिंघ, डणढ) गशाखीय तंत्रिकाश्लैष्म । ब्यााह--(0८. बर्कंशा, डक) ऐडेनीन या एडिनाइन; कोशिकाओं में पाया जाने वाला एक यौगिक जिसका जल अपघटन (पता 05) एडीनेस (8त10856) से हाइपोजेनथीन (श४0०४००पं0८) 05 घट खट् में हो जाता है । 82पलाणीघ्ड--(0:. वर्धा, डकिएत; &घ्रडा०5, 06) एडोनोब्लास्ट; प्र णिक ग्रव्थीय कोशिका 1 शपला0लीलंए--(10. वर्धा, डोकाते; घोथोए 1800) एडींनोकिरी; टरवीलेरिया (1८/७८0878) के विस्तृत सहायी मैथुनांग (००0प8107४# 08805) । हग्एले; . छिछण, प्रततेडा ;. एंफ्िंड, . हा०्णपा) एडीनोहाइपोफाइसिस; पिट्यूटरी ग्रन्थि की प्रत्यिल पाली (1006) ॥ 8तलाभंव--(एो८. चर्चा, इधिाए; ंघ्०5, 5५806) एडि- नौइड । घ0शा0फृषि्ण6--+(0. घर्षंधा, हकाएं; शा, 10 स्‍वाए) गरंथिधर; पुष्पासव (प्रत्व॑था) पग्रस्थि डन्ठल (581४) 1 8वलाणुफगाणाई--(0ाए. बंध, डॉधिएत; . छाछीण, 165) ग्रन्थिल पर्णी; ग्रस्थियुक्त पत्तीयों (पर्ण) वाला । 8एलाणीएफुण्णीफुड5- -(68. . घर्षशा, 8तफ056 छि0प165 ्रतेशाणु0पणाई--((ाए. वर्धा, डक; छ०घ5, छिण) ग्रत्थिलवुन्ती; ग्रन्थि युक्त वुन्त (068४0०165) । घेशा056--(0:. वर्धा, डाधिएत) अन्विल; ग्रन्थियुक्त; ग्रन्थिमान । बलाए5धाएणाएघ5--(0. बर्षेंश, इध्धात,' उशाणा, 80 86) ग्रन्यिल पुकेसरी; ग्रत्थि युक्त पुकेंसर (डधिपाहा5) 1 प९पुप्त8/€--पर्याप्त; क्षम; तुल्य । 8टाशंध९--ऐडरमीन; विटामिन 8,;, पाइरीडोक्सिन । श९डाप्--(0८. च्तंडडाा05, प्रपर्टि।टा८6) खंडूडन, भंज्जन; किसी अंग में प्रायः सम्पूर्ण टूट या विभाजन । बत्तेदिणाधा!---(.. बच, ५0; उठ, णिलाट86) उपललाद; कुछ कीट डिम्कों में ललाटिका (£005) के पास पाई जाने वाली तिरछी पलेट । #वीशशान-ी-. करत, ५; कहर, (0 8) भासं- जित । प्ताह्णा -- ही. द्, 10; फ्रशर, (0 घीएट) आसं- जन; किन्हीं भागों का मिल जाना जो सामान्यतः: पृथक होते हैं । [देखिये--८0968ं0 संसक्त] शपे९ंश€ ८2ा5--संलग्वशील कोशिकायें; आसंजी कोशि- कायें; चिपक जाने वाली कोशिकायें; आसंजक को शिकायें । 86नेश£ . एप्रडॉधणाड--हा... वर्ष, 0; घर, भाप) संलग्गशील, उपघान (गह्ियाँ); चिपक जाने वाली गदियाँ । 8ऐ९जर£ फथ!]घ--संलग्गशील कूट; आसंजक पैपिला । घ्ीशा८९--(-. वर्क, ५0 80800) प्रतिक्रिया प्रगम; प्रचुद; किसी प्रतिक्रिया की ओर बढ़ना । [देखिये 20ं८0०७ प्रतिक्रिया वजन] -ुर्ट्क--(1,, बर्षछुछ, दिए; (ाद. द०, श्णिण्कि) वदाफकोशिका; कीटों में वसा. बनाने वाली एक कोशिका । घफ्फुणलाटण्ट्रड---(... घरंधूड, दिए; (उ.. इंडपादिएड फ़पॉट; गण, 9िणा0स) वसापवेताणु । 8ऐफु0&6-- .. दर्के25, दि: ) वसामय; मेदोमय । 80०5९ 00एं९६--वसा-पिंण्डक; मेदोमय पिंण्ड ।




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