महाभारत में धर्म | Maha Bharat Me Dhram
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19.12 MB
कुल पष्ठ :
517
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ. शकुन्तला रानी तिवारी - Dr. Shakuntala Rani Tiwari
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)का महाभारत में धमें
माना जाता है । स्वयं महाभारत में भी अनेक प्रकार से महाभारत की सहिसा
का वर्णन वि.या गया है । परम्परा और महाभारत दोनों के प्रमाण के आधार
पर महाभारत की महिमा का प्रतिपादन छुरा अध्याय में किया गया है । सहा-
भारत के गायक सौति के शब्दों में महाभारत तीनों लोकों में महान ज्ञान के
रूप में प्रतिष्ठित है । चह॒ सूर्य के रामान अज्ञान के अन्वकार को दूर करने
वाला है । महाभारत सम्पुरों श्र. तियों का समूह है । एक स्थान पर उरो संपर्गग
शास्त्रों और चारों वेदों से भी अधिक बताया गया है । उसमें धर्म, अर्थ और
मोक्ष का परिपूर्ण वर्णन है । प्राचीन कथा के रूप में उसका ऐतिहारिक महत्व
है। महाभारत साहित्य के अनेक ग्रन्थों का उपजीव्य बना है तथा उरावका
काव्य सुन्दर है । धर्म और संस्कृति का तो वह चिस्वकोप ही है ।
दूसरे अध्याय में महाभारत की आधुनिक आलोचना का परिचय दिया
गया है । प्रस्तुत वोध-प्रबन्ध में महाभारत के धर्म-सम्चन्धी तत्वों का चिये-
चंन सुख्यतः सूल महभारत के ही आधार पर किया गया है । किन्तु आधुनिक
अध्ययन में ऐतिहासिक आलोचना का परिचय देना भी. अपेक्षित है । इसी
दृष्टिकोण से धर्म के विविध पक्षों के विवेचन के पूर्व इस एक अध्याय में
महाभारत की आधुनिक आलोचना का परिचय दिया गया है । यह परिचय
विन्तरनित्स आदि के संस्कृत साहित्य के इतिहासों तथा या० सुकाथनकर के
प्रथम भाषण के आधार पर दिया. गया है । महाभारत की ऐतिहासिक खोज
का आरंभ पश्चिमी घिद्दानों ने किया । इन घिद्वानों में वौप, लासैन, सौरैनसन,
हीप्किन्स, ओल्डनचगं, होल्त्समान, विन्तरनित्स आदि के नाम उल्लेखनीय हैं ।
महाभारत के भारतीय आलोचनों में प्रिन्सीपल थडानी, पंडित चिन्तामणि
विनायक वैद्य, डा० सुकथनकर आदि के नाम स्मरणीय हैं । पश्चिमी विद्वानों
के महाभारत सम्बन्धी मतों के साथ-साथ उक्त भारतीय घिद्वानों का गरिचय
भी इस अध्याय में दिया. गया है । महाभारत की इस आधुनिक आलोचना
का सम्बस्थ मुख्यतः उसकी रचना, काल, उसके लेखकों, उसके संस्करणों
आदि से है ।
तीसरे अध्याय में सहाभारत में धर्म के स्थान और महत्व का विस्तृत
चिवेचन किया गया है । महाभारत के चतेमान रूप में धर्म-सम्बन्धी तत्व
कथा भाग से कई गुना अधिक है । विषय तस्व की दृष्टि से भी यह धामिक
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