एक साथ का अनुभव | Ek Sant Ka Anubhv
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
0.53 MB
कुल पष्ठ :
26
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(श३ १)
जनन्य भक्तिके साधन
रै, अजपा-जाप ।
२, प्रेम ।
३, सत्य बोलना ।
४, समदर्शित्व ।
५, वासनारहित दोना |
इनकी क्रमसे व्यास्था.
१-अजपा-जाप चदद है जो चौबीसों घण्टे श्वासके साथ
होता रहे । इसका अभ्यास फरते-करते रोम-रोमसे 'नारायण'
शब्द निकलता है । अन्यान्य साधन ऊपर लिखे जा चुके हैं ।
र-प्रेमका केवल एक साधन यही ऐ कि भगवानूके
गुणाजुवाद सुनकर रोया करे और रातकों एकास्तमें बेंठकर
खूब रोया करे। ऐसा करनेसे दिन-प्रति-दिन प्रेम बढ़ता जायगा।
भक्तिका यए एक खास अंग है । मीराचाई भी ऐसा दी करती थीं।
३-भजनके साथ सत्य बोठना निद्दायत ज़रूरी है । इसके
और साधन लिखे जा चुके हैं ।
४-समदर्शी दोना--यद साधन बहुत कठिनतासे दोता ऐ।
सारे जगत्को नारायणरुप जानकर हाथ जोड्कर प्रणाम इस
शावकों लेकर करे कि मैं नारायणकों ही नमस्कार कर रदा हुँ ।
जीवमान्रके साथ प्रेम करे, किसीके मनको न दुखावे, किसीको
दुर्वच्न न कहे और न किसीसे बैरभाव फरे | यद ,साधन मैं
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