सन्तकवि दरिया एक अनुशीलन | Sant Kavi Dariya Ek Anusheelan

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Sant Kavi Dariya   Ek Anusheelan by धर्मेन्द्र ब्रह्मचर्य शास्त्री - Dharmendra Brahmcharya Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(९ ) साधु चतुरीदास*” बताते हैं कि दरिया साहब के पिता पीरन शाह उज्जैन के एक संभ्ान्त क्षत्रिय थे श्रौर उनके पुर्वेज बहुत पहले बबसर के निकट जगदीशपुर में राज्य करते थे। किन्तु सोनपुर मठ के साधु फोजदार दास ने बताया कि पीरन शाह के चार भाई थे; हीरन शाह, गिरिघर शाह, शाहूजादा शाह तथा एक शरीर जिसका नाम उन्हें स्मरण नहीं था। उनके कथनानुसार हीरन के वंदाज झब रघुनाथपुर (ई० झाई० झार०) निकट चौगाई' में बसते हैं; गिरिघर के वंशाज डुसराँव के राजपरिवार हू तथा दाहजादा के वंदाज जगदीदापुर में बस गये थे श्रौर इसी वंश में पीछे चलकर प्रसिद्ध कुचर सिंह हुए । संभव है, दरिया साहब के पुवंज उज्जैन के क्षत्रिय रहे हों, पर उनका संबंध उज्जेन-क्षत्रियों के तीन प्रमुख स्थानों--डुमराँव, जगदीदपुर तथा दिलीपपुर- के परिवारों से मिलाना मेरे लिए संभव न हो सका।. जगदीशपुर की वंदापरम्परा सें दाहजादा सिह का नास झाता तो श्रवदय है, पर यह कुंवर सिह के पिता थे तथा इनकी मृत्यु ई० सन्‌ १८३० (सं १८८७) में हुई । श्रतः ये दरिया साहब के 'चाचा हो ही नहीं सकते, क्योंकि स्वयं दरिया साहब का जन्म ई० सन्‌ १६७४ (सं० १७२१) मे हुमा था। बाद को साधु घतुरीदास ने बताया है कि दरिया के निकटतम पुबंज राजपुर के निवासी थे।**. उनकी दी हुई वंशावली नीचे दी जाती हू * * रणजीत तारायण सिंह हू सन विन न रकम ं सनिनकसटशटर सुरतचन्द्ध सिंह. सिगसंगण सिंह कुष्णदेवकुमार सिह सट्टा: नवमतावतत तिलक, सुमेर सिंह 1... पृथुदेव सिह उफे पुरनशाह पा ा ं ी न पगर न ं _ दरिया * भरती रिया“ जरती या सककड़ [फरीर) _ रू दल _ फबकड़ फकीर) उजियार बुद्धिमती (बहन) २५. 'ज्ञानदीपक' की भूमिका में । २६. साधु रामब्रत दास के श्रनुसार हेठुआ्ा राजपुर जो धरकन्धा से ५ कोस पर है, दरिया का पैतुक स्थान हो सकता है । श्रब भी दरिया के वंशजों का कुछ सम्बन्ध वहाँ पड़ता है । २७. साधु चतुरीदास का वहना है कि यह वंशावली मिति ३० श्रगहन सं० १८८१ के एक कागज से ली गई है । मेंने प्रतिलिपि तो देखी, पर मूलपत्र नहीं देखा हैं । २५. 'मूतिउखाड़' में तेंग बहाढुर को उनका भाई बताया गया हैं । संभवत: वे चचेरे या मौसेरे भाई रहें हों




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