एक साथ का अनुभव | Ek Sant Ka Anubhv

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Ek Sant Ka Anubhv by हनुमानप्रसाद पोद्दार - Hanuman Prasad Poddar

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He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(श३ १) जनन्य भक्तिके साधन रै, अजपा-जाप । २, प्रेम । ३, सत्य बोलना । ४, समदर्शित्व । ५, वासनारहित दोना | इनकी क्रमसे व्यास्था. १-अजपा-जाप चदद है जो चौबीसों घण्टे श्वासके साथ होता रहे । इसका अभ्यास फरते-करते रोम-रोमसे 'नारायण' शब्द निकलता है । अन्यान्य साधन ऊपर लिखे जा चुके हैं । र-प्रेमका केवल एक साधन यही ऐ कि भगवानूके गुणाजुवाद सुनकर रोया करे और रातकों एकास्तमें बेंठकर खूब रोया करे। ऐसा करनेसे दिन-प्रति-दिन प्रेम बढ़ता जायगा। भक्तिका यए एक खास अंग है । मीराचाई भी ऐसा दी करती थीं। ३-भजनके साथ सत्य बोठना निद्दायत ज़रूरी है । इसके और साधन लिखे जा चुके हैं । ४-समदर्शी दोना--यद साधन बहुत कठिनतासे दोता ऐ। सारे जगत्‌को नारायणरुप जानकर हाथ जोड्कर प्रणाम इस शावकों लेकर करे कि मैं नारायणकों ही नमस्कार कर रदा हुँ । जीवमान्रके साथ प्रेम करे, किसीके मनको न दुखावे, किसीको दुर्वच्न न कहे और न किसीसे बैरभाव फरे | यद ,साधन मैं




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